राजस्थान के जैसलमेर में मंगलवार को हुए भीषण बस हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है. हादसे में जान गंवाने वाले मृतकों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है. 6 अब भी वेंटिलेटर पर हैं, जिनकी हालत नाजुक बताई जा रही है. हालांकि, ऐसा कहा जा रहा है कि मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि बस में से शवों को निकालने के बाद का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें कुछ कंकाल नजर आ रहे हैं.

दरअसल, आग पर काबू पाने के बाद बस को आर्मी कैंट के अंदर ले जाया गया था. वहां से शवों को जोधपुर एमडीएम हॉस्पिटल की फोरेंसिक लैब भेजा गया, जहां डीएनए टेस्ट होना है. शवों को फोरेंसिक लैब भेजे जाने के बाद का एक वीडियो सामने आया है. वीडियो में दिख रहा है कि जली बस के अंदर कुछ कंकाल मौजूद हैं. मतलब कि मौतों का आंकड़ा और बढ़ सकता है.

हादसे की जांच के लिए SIT गठित

जैसलमेर पुलिस अधीक्षक अभिषेक शिवहरे ने हादसे की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है. SIT को जल्द से जल्द जांच पूरी करने और रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं. पुलिस ने बस मालिक और ड्राइवर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. यह FIR पत्रकार राजेंद्र चौहान के भाई द्वारा दर्ज कराई गई है. मामला जैसलमेर सदर थाने में दर्ज हुआ है.

शुरुआती जांच में सामने आया है कि बस चित्तौड़गढ़ RTO में रजिस्टर्ड थी और परिवहन विभाग ने इसकी बॉडी को अप्रूव किया हुआ था. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि शोक की इस घड़ी में राज्य सरकार पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी है. मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजन को 10-10 लाख रुपये, गंभीर घायलों को 2-2 लाख रुपये, और सामान्य रूप से घायल यात्रियों को 1-1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है.

डीएनए जांच के बाद शव सौंपने की प्रक्रिया शुरू

बस यात्रियों के शवों का डीएनए टेस्ट और पोस्टमार्टम पूरा हो चुका है. रिपोर्ट आने के बाद प्रशासन ने मृतकों के शवों को उनके परिजन को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. हर शव को पूरे सम्मान और संवेदनशीलता के साथ एम्बुलेंस के माध्यम से उनके पैतृक गांवों तक पहुंचाया जाएगा.

अधिकारियों के अनुसार, डीएनए जांच के बाद अब तक 9 शव एम्स जोधपुर में और 9 शव महात्मा गांधी अस्पताल (MGH) में रखे गए हैं, जिनकी पहचान की जा चुकी है. प्रशासन और दोनों जिलों की टीमें निरंतर संपर्क में हैं ताकि सभी प्रभावित परिवारों को समय पर सहायता और सहयोग मिल सके.

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