बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जो महागठबंधन एक होने का दावा कर रहा था. हालांकि वह चुनाव के दौरान पूरी तरह से बिखरा हुआ नजर आ रहा है. तमाम छोटे-छोटे दलों की नाराजगी खुलकर सामने आई है. इसके अलावा कई ऐसी सीटें भी हैं जहां कांग्रेस और आरजेडी आमने-सामने उतर चुकी है. इसी नाराजगी और खटास को (Inside story of ‘disturbance’ in Grand Alliance) लेकर सीपीआई(एमएल) नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि इस बार गठबंधन ज्यादा बड़ा है. इसलिए ये सब हो रहा है.
उन्होंने कहा कि वीआईपी पार्टी को इस महागठबंधन में शामिल करना चाहते थे. इसका मतलब था कि सभी को कुछ सीटों का त्याग करना पड़ेगा. इसलिए पूरी प्रक्रिया में थोड़ी देरी हुई है. इस देरी की वजह से हर निर्वाचन क्षेत्र में पूर्ण एकता नहीं है, लेकिन हमने तय किया था कि कोई दोस्ताना लड़ाई नहीं होगी. पूर्ण एकता होनी चाहिए.
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उन्होंने कहा कि हम अपनी तरफ से इसे बनाए हुए हैं. मुझे उम्मीद है कि जब तक नाम वापस लिए जाएंगे, तब तक पूरी एकता स्थापित हो जाएगी.” दीपांकर की मानें तो नाम वापसी के बाद सभी की नाराजगी दूर हो जाएगी.
Inside story of ‘disturbance’ in Grand Alliance – दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार में ये चुनाव बदलाव के लिए हैं. पांच साल पहले, बिहार कोरोना काल में चुनाव कराने वाला पहला राज्य था. उस समय, किसी को भी बिहार में विपक्ष की उम्मीद नहीं थी, क्योंकि 2019 के चुनावों में एनडीए 39-1 से आगे था. लेकिन उस तरह के हालात में, बिहार ने एक ऐसा जनादेश दिया जो आंखें खोल देने वाला था. जहां हम सत्ता में आने से बाल-बाल बचे थे.