पहलगाम आतंकी हमले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. एक-एक कर पाकिस्तान और उसके पाले-पोसे आतंकियों की साजिशें सामने आ रही हैं. पीड़ित परिवारों की दर्दभरी दास्तानें दिल को कचोट देने वाली हैं. रोते-रोते इनके आंसू सूख गए हैं लेकिन जुबां से निकलने वाला एक-एक शब्द (how to reach weapons) दिलो-दिमाग को सिहरा देने वाला है. आतंकी हमले में जान गंवाने वाले कानपुर के शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशान्या भी कुछ ऐसी ही दर्दभरी दास्तां बयां कर चुकी हैं. उन्होंने कई चौंकाने वाले खुलासे भी किए हैं. आतंकियों के हथियारों को लेकर जो बातें कही हैं, वो कई सवाल खड़े कर रही हैं. साथ ही NIA जांच में आतंकियों के हथियारों को लेकर कई संकेत मिल रहे हैं.
how to reach weapons – ऐशान्या कहती हैं, आतंकवादी अपने साथ हथियार लेकर नहीं आए थे. उन्हें वहां (बैसरन घाटी में ही) किसी ने हथियार सप्लाई किए थे. शायद वहां शूट-शॉल बेचने वाले लोगों ने उन्हें हथियार सप्लाई किए हों. पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया लेकिन अब याद आ रहा है कि वो लोग पूछ रहे थे कि आपके साथ कौन-कौन है. वो ये भी कह रहे थे कि आप कपल (जोड़े) में चलिए. वो लोग जींस पहन हुए थे. उनके पास कोई हथियार नहीं था. उन्हें हथियार सप्लाई किए गए थे.
शुभम ने घोड़े वाले से सवाल किया
ऐशान्या ने ये भी बताया कि पति शुभम ने घोड़े वाले से सवाल किया था कि ऊपर (जहां हमला हुआ) नेटवर्क रहता है या नहीं. इस पर उसने कहा था कि वहां फुल नेटवर्क है. जबकि वहां नेटवर्क नहीं था. अगर वो कह देता कि नेटवर्क नहीं आता है तो हम वहां ना जाते. इस दौरान ऐशान्या ने एक और बात कही. उन्होंने कहा कि बैसरन घाटी में जहां हम लोग मौजूद थे वहीं एक व्यक्ति भेड़ चरा रहा था. वो इतने बड़े मैदान में अकेले भेड़ चरा रहा था. उसने ढके हुए कपड़े (फिरन) पहन रखे थे. क्या पता उसने उन कपड़ों के अंदर कुछ छिपाया हुआ हो?