उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Former Defense Minister) का निधन हो गया। सैफई के रहने वाले मुलायम सिंह यादव ने राजनीति की शुरुआत केके डिग्री कालेज के पहले छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में की थी। इसके बाद सहकारी बैंक के अध्यक्ष, सहकारिता मंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद व रक्षा मंत्री बने। इसी बीच कई राजनैतिक दलों के महत्वपूर्ण पदों पर रहे और सही मौका देखकर अपनी पार्टी का गठन किया।
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22 नवंबर 1939 में सुघर सिंह यादव के बेटे के रूप में जन्म मुलायम सिंह यादव ने जन्म लिया। शुरुआती शिक्षा गांव के परिषदीय स्कूल में हासिल की। 6 से 12 तक की शिक्षा उन्होंने करहल के जैन इंटर कालेज से हासिल की और बीए की पढ़ाई के लिए इटावा पहुंचे। इटावा में केकेडीसी कालेज में एडमिशन लिया और रहने के लिए जब बेहतर आसरा नहीं मिला तो कालेज के संस्थापक हजारीलाल वर्मा के घर में ही रहने का ठिकाना बना लिया। 1962 के इस दौर में प्रदेश में पहली बार छात्र संघ के चुनाव की घोषणा हुई और राजनैतिक रुचि रखने वाले मुलायम सिंह ने ये मौका हाथ से जाने नहीं दिया और ताल ठोंक दी। वह छात्र संघ के पहले अध्यक्ष बन गए। यहीं से राजनीति की शुरूआत करके एक युवा नेता के रूप में उभरकर सामने आए।
मुलायम ने एमए की शिक्षा लेने के लिए शिकोहाबाद के डिग्री कालेज में प्रवेश लिया। एमए करके करहल के जैन इंटर कालेज से बीटी की और कुछ समय तक जैन इंटर कालेज में बतौर शिक्षक काम किया, पर राजनैतिक दिलचस्पी रखने वाले मुलायम सिंह चुप नहीं बैठे।मुलायम की विधायक नत्थू सिंह से नजदीकियां बढ़ीं। नत्थू सिंह ने 1967 के विधानसभा चुनाव में जसवंतनगर की अपनी सीट छोड़कर मुलायम को सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव लड़ाया और किस्मत के धनी मुलायम सिंह यादव 28 साल की उम्र में विधायक बन गए।
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Former Defense Minister – मुलायम सिंह यादव 1967 से लेकर 1996 तक 8 बार उत्तर प्रदेश में विधानसभा के लिए चुने गए। एक बार 1982 से 87 तक विधान परिषद के सदस्य रहे। 1996 में ही उन्होंने लोकसभा का पहला चुनाव लड़ा और चुने गए। इसके बाद से अब तक 7 बार लोकसभा में पहुंच चुके हैं। अब भी लोकसभा सदस्य हैं। 1977 में वह पहली बार यूपी में मंत्री बने। तब उन्हें कॉ-ऑपरेटिव और पशुपालन विभाग दिया गया। 1980 में लोकदल का अध्यक्ष पद संभाला। 1985-87 में उत्तर प्रदेश में जनता दल के अध्यक्ष रहे। पहली बार 1989 में यूपी के मुख्यमंत्री बने। 1993-95 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। 2003 में तीसरी बार सीएम बने और चार साल तक गद्दी पर रहे। 1996 में जब देवगौडा सरकार बनी, तब मुलायम उसमें रक्षा मंत्री बने।
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राजनीति के दांवपेंच उन्होंने 60 के दशक में राममनोहर लोहिया और चरण सिंह से सीखे। लोहिया ही उन्हें राजनीति में लेकर आए. लोहिया की ही संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने उन्हें 1967 में टिकट दिया और वह पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे। उसके बाद वह लगातार प्रदेश के चुनावों में जीतते रहे। विधानसभा तो कभी विधानपरिषद के सदस्य बनते रहे। उनकी पहली पार्टी अगर संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी थी तो दूसरी पार्टी बनी चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाली भारतीय क्रांति दल. जिसमें वह 1968 में शामिल हुए। चरण सिंह की पार्टी के साथ जब संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का विलय हुआ तो भारतीय लोकदल बन गया। ये मुलायम के सियासी पारी की तीसरी पार्टी बनी।