बॉलीवुड की हॉरर फिल्में ‘डर’ से ज्यादा हंसाने का काम करती हैं, लेकिन अब लगता है कि हिसाब-किताब बदलने वाला है. क्योंकि अजय देवगन का प्रोडक्शन हाउस हॉरर कॉमेडी नहीं बल्कि हॉरर फिल्में बनाने में रुचि ले रहा है. उन्होंने पहले शैतान बनाई और अब ‘शैतान’ यूनिवर्स की नई एंट्री ‘मां’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. इस फिल्म में काजोल एक ऐसी ‘मां’ बनी हैं, जो अपनी बेटी को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं. अब क्या ये ‘मां’ वाकई हॉरर (mothers life story) फिल्मों की ‘माई’ बाप साबित होती है? या फिर इसे देखकर भी हमारी हंसी छूट जाती है? इस पर विस्तार से बात करते हैं.

हिंदी सिनेमा में हॉरर फिल्में अक्सर ‘अकेला घर, डरावनी आवाजें और अचानक सामने आता भूत’ के इर्द-गिर्द घूमती हैं. लेकिन काजोल की ‘मां’ कुछ अलग करने आई है. ये फिल्म पौराणिक हॉरर का एक गजब कॉम्बिनेशन है, जहां कहानी की जड़ें हमारी सदियों पुरानी कथाओं मां दुर्गा और दानव रक्तबीज की गाथा में गहरी धंसी हैं. यहां मेकर्स ने एक ऐसी फिल्म बनाई है, जो आपको अपनी सीट से बांधे रखती है.

mothers life story – तो कहानी है चंद्रपुर की, एक ऐसी आदर्श जगह जहां ‘बेटी बचाओ’ अभियान पहुंचा ही नहीं, क्योंकि यहां बेटी पैदा होते ही बलि चढ़ाने का पुराना रिवाज है. वजह? एक खानदानी श्राप. खैर, इसी ‘संस्कारी’ माहौल में काजोल अपनी बेटी को लेकर आती हैं. वैसे तो उन्होंने चंद्रपुर आकर तुरंत अपने घर वापस जाने का प्लान बनाया था, लेकिन फिल्म को आगे बढ़ाने के लिए उनका ये प्लान चौपट हो जाता है और वो कुछ दिनों के लिए अपने गांव में ही फंस जाती हैं और गांव में रहने वाले ‘दैत्य’ यानी राक्षस की नजर काजोल की बेटी पर पड़ जाती है. अब ये ‘मां’ क्या करेगी, अपनी बेटी को राक्षस से कैसे बचाएंगी? ये जानने के लिए आपको थिएटर में जाकर ‘मां’ देखनी होगी.

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