असम सरकार ने गुरुवार को बताया कि मंत्रिमंडल ने जनता के हित को ध्यान में रखते हुए कई अहम फैसले लिए हैं. जिसमें उन्होंने कहा कि किसी भी निजी अस्पताल को मरीज के शव को दो घंटे से ज्यादा रखने की अनुमति नहीं होगी, भले ही परिवार इलाज का बिल न चुका पाए. एक अन्य फैसले में कहा गया कि असम में चल रहे (bodies cannot be kept) मानव-हाथी संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए आठ जिलों में एक नई योजना शुरू की जाएगी.

 bodies cannot be kept – मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यह जानकारी एक प्रेस कांफ्रेंस के जरिए दी. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के साथ हुई इस बैठक में बच्चों की शिक्षा से लेकर वर्तमान समय में चल रहे असम-हाथी संघर्ष, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि को ध्यान में रखते हुए कई अहम फैसले लिए गए.

मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने के दो घंटे में देना होगा शव

सीएम सरमा ने कहा कि अब पैसे या किसी अन्य कारण से निजी अस्पतालों द्वारा शवों को रोककर नहीं रखा जाएगा. उन्हें कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने के दो घंटे के भीतर शव उसके परिवारजन को सौंपने होंगे, चाहे भुगतान कितना भी लंबित क्यों न हो. इससे ज्यादा देरी होने पर अस्पतालों पर दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है. सरमा ने कहा कि सरकार एक 24×7 टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 104 चालू करेगी. इस टोल फ्री नंबर पर परिवार शव न मिलने की सूचना दे सकते हैं.

 5 लाख रुपये तक का देना पड़ सकता है जुर्माना

सीएम ने कहा कि दोषी अस्पतालों का लाइसेंस 3-6 महीने के लिए निलंबित किया जाएगा और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अपराध दोहराने पर उनका पंजीकरण हमेशा के लिए रद्द भी किया जा सकता है. सीएम ने कहा कि कैबिनेट ने असम में निजी नर्सिंग होम द्वारा की जाने वाली जबरदस्ती की गतिविधियों को रोकने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) और नियामक दिशानिर्देशों के मसौदे को मंजूरी दे दी है.

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