मध्य प्रदेश के ड्रग विभाग में 6 हजार सैंपल ऐसे हैं, जिनकी रिपोर्ट आनी बाकी है. जांच रिपोर्ट आने में करीब 1 साल का समय लग सकता है. इसका सबसे बड़ा कारण है प्रदेश के फूड और ड्रग विभाग में स्टाफ की कमी और आधुनिक मशीनों की कमी. न तो पर्याप्त लोग हैं, जो जांच कर सके ना ही वैसी आधुनिक मशीन जिससे सैंपल की (Drug department is in bad shape) जांच जल्द से जल्द हो सके. टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत में ज्वाइंट ड्रग कंट्रोलर टीना यादव ने इस बात को स्वीकार किया है.

Drug department is in bad shape – सिरप की जांच मामले में ज्वाइंट ड्रग कंट्रोलर टीना यादव ने कहा कि नियम के अनुसार जिस राज्य में सिरप या दवा बनती है पहली जिम्मेदारी उसी राज्य की होती है कि वो जांच पड़ताल कर उसका अप्रूवल दे. बाद में जिस राज्य में वो सिरप गया है उसकी जिम्मेदारी होती है. अब ये जांच का विषय है कि जिम्मेदार कौन? इसी जांच की जा रही है.

20 में से तीन सिरप के सैंपल फेल

टीना यादव ने बताया कि 20 में से तीन सैंपल ऐसे हैं जो जांच में फेल हुए हैं. बाकी सैंपल में कोई दिक्कत नहीं थी. प्रदेश में जिस सिरप के सैंपल हुए हैं, उसे लेकर अभियान चलाया जा रहा है कि उसे लोग न खरीदें और दूसरा मेडिकल स्टोर से इसे जब्त करें.

दो कंडम मोबाइल जांच वैन कबाड़ में

ड्रग विभाग के दफ्तर में दो वैन ऐसी हैं जो फूड और ड्रग डिपार्टमेंट विभाग की चलती फिरती जांच लैब हैं. लेकिन वो खड़े-खड़े कबाड़ बन चुकी हैं. विभाग का कहना है कि ये फूड सैंपल के लिए है लेकिन हमारी पड़ताल में पता चला कि ये फूड और ड्रग दोनों के लिए है.

Share.
Exit mobile version