इंदौर।सौर ऊर्जा के अलावा ग्रीन इनर्जी के रूप में हवा व पानी का उपयोग करके बिजली तैयार की जा सकेगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) इंदौर बनाए गए उपकरण के माध्यम से (digital watch and hearing device) जल वाष्पीकरण की प्राकृतिक प्रक्रिया का उपयोग कर बिजली बनाई जाएगी।
इससे छोटे इलेक्ट्रिक उपकरण चार्ज किए जा सकेगे। इस तकनीक का उपयोग से मेडिकल उपकरणों के संचालन में किया जा सकेगा। ह्दय रोगियों के उपचार के लिए लगाए जाने वाले शरीर के अंदर लगाए जाने पेसमेकर व श्रवण बाधितों के कानों में लगाए जाने वाली डिवाइस में भी इस तकनीक का उपयोग होगा।
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इन डिवाइस में इस तकनीक से तैयार मेंब्रेन का उपयोग कर वातावरण की नमी यहां तक कि मनुष्य के पसीने से भी मेडिकल उपकरणों को चार्ज किया जा सकेगा। वही डिजिटल वॉच में अभी जहां बैटरी व उसे चार्ज की समस्यां से भी इस तकनीक निजात मिलेगी। मेंब्रेन का उपयोग शरीर पसीने से ही डिजिटल घड़ियां चार्ज हो सकेगी।
digital watch and hearing device – आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर धीरेंद्र के राय और शोधार्थी खुशवंत सिंह द्वारा संस्थान की सस्टेनेबल एनर्जी एंड एंवायरमेंटल मटेरियल्स (एसईईएम) लैब में इस हवा व पानी से बिजली तैयार करने की तकनीक विकसित की गई गई है।