मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के बीजेपी, और कांग्रेस सहित सभी विधायकों से अपने-अपने क्षेत्र में 10 अहम विकास परियोजनाओं (Development Projects) को चिन्हित करते हुए, प्रस्ताव भेजने को कहा है। सरकार इन परियोजनाओं को धरातल पर उतारेगी। सीएम ने इसके लिए राजनैतिक पहल करते हुए, सभी विधायकों को अनुरोध पत्र लिखा है।
इसे भी पढ़ें – उत्तराखंड के अस्पतालों में 28 सौ नर्सों की होगी भर्ती, नियमो में किया गया बदलाव
विधायकों को लिखे अनुरोध पत्र के जरिए सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड दौरे में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि 21 वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड राज्य का दशक होगा। इसी क्रम में राज्य सरकार विकल्प रहित संकल्प के साथ काम कर रही है। योजनाबद्ध तरीके से विकास के लिए प्रधानमंत्री के मूल मंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ पर चलते हुए वो पार्टी सीमा से उपर उठकर राज्य के सभी विधायकगणों से सहयोग चाहते हैं।
इसी क्रम में प्रत्येक विधायक अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र की व्यापक जनहित से जुड़ी दस औचित्यपूर्ण विकास योजनाओं के प्रस्ताव प्राथमिकता के आधार पर सरकार को उपलब्ध करा सकता है। प्रस्ताव के क्रम में शासन स्तर पर राज्य के आर्थिक संसाधनों को देखते हुए, विधायकों के साथ विचार विमर्श के बाद इन विकास परियोजनाओं को चरणबद्ध तरीके से मूर्त रूप दिया जाएगा।
इसे भी पढ़ें – एक महीने में कराइये रजिस्ट्रेशन नहीं तो बंद होगा मदरसा, उत्तराखंड सरकार ने दी चेतावनी
Development Projects – हम राज्य गठन की 25वीं वर्षगांठ तक, उत्तराखंड को देश के श्रेष्ठतम राज्य बनाने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। इसी क्रम में दलगत भावना से ऊपर उठते हुए, सभी विधायकों को अपने क्षेत्र की दस अहम परियोजनाओं को चिन्हित करते हुए, उसके प्रस्ताव देने को कहा गया है। ताकि उत्तराखंड के सभी क्षेत्रों का एक समान विकास हो सके। इसमें विधायकों का सहयोग जरूरी है।
इसे भी पढ़ें – उत्तराखंड में यूपी पुलिस के साथ ग्रामीणों की मुठभेड़, फायरिंग में एक महिला की मौत, कई घायल
प्रदेश में सभी विधायकों को सालाना 3.75 करोड़ रुपए की विधायक निधि मिलती है। ग्राम्य विकास विभाग इस वित्तीय वर्ष की पूरी विधायक निधि जारी कर चुका है। इस निधि के जरिए विधायक ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने का प्रयास करते हैं, इसलिए निधि से ज्यादातर सड़क, खडंजा, नाली, चारदीवारी जैसे छोटे- मोटे काम ही हो पाते हैं। इसके अलावा विधायकों (खासकर विपक्षी दल) के पास, दूसरे विकास कार्यो के लिए सियासी पैरवी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।