Delhi Riots – उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों (Delhi Riots) के एक मामले में कोर्ट ने प्रमाण के अभाव में पांच आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन के पास आरोप साबित करने के लिए साक्ष्य नहीं है। इसके चलते आरोपियों को आरोपमुक्त करना ही उचित है। कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट की कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष के पास पुख्ता साक्ष्य नहीं है और कमजोर साक्ष्यों को देखते हुए यह कहना अनुचित नहीं होगा कि ऐसे मामले में सुनवाई जारी रखना अदालत के समय की बर्बादी ही है। मालूम हो कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगो (Delhi Riots) में काफी नुकसान के साथ कई जाने गयी थीं।
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आरोपियों पर सोनिया विहार में तोड़फोड़ और दुकानों में आग (Delhi Riots) लगाने का आरोप था। मामले में आरोपियों को केवल एक गवाह ने पहचाना, जिसने उनकी कथित हमलावरों के रूप में पहचान की थी। हालांकि इस गवाह ने दंगाइयों की सीधे रूप से पहचान नहीं की थी। गवाह ने 15 मार्च 2020 को जांच अधिकारी द्वारा उसे दिखाए गए वीडियो फुटेज से इन आरोपियों की पहचान दंगाइयों के रूप में की है।
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अदालत ने कहा कि इसके अलावा कोई अन्य गवाह नहीं है, जिसने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन आरोपियों को हमलावरों के रूप में पहचाना हो। अदालत ने पांचों आरोपियों को दंगा ।आगजनी और गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने के अपराधों के लिए आरोप तय करने से इनकार किया है। अदालत ने आरोपियों को पहले ही जमानत पर रिहा कर दिया था। आरोपपत्र पर अभियोजन व बचाव पक्ष की जिरह सुनने के बाद अदालत ने आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया है।