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    Home » सीएम धामी का संस्कृति विभाग को निर्देश, पौराणिक त्योहार और मेलों को उनकी पुरानी पहचान दिलाने के लिए बनाये नीति

    सीएम धामी का संस्कृति विभाग को निर्देश, पौराणिक त्योहार और मेलों को उनकी पुरानी पहचान दिलाने के लिए बनाये नीति

    November 8, 2022 उत्तराखण्ड 2 Mins Read
    Religion Change
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    धामी सरकार ने उत्तराखंड के पौराणिक त्योहार और मेलों को फिर से उनकी पुरानी पहचान दिलाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसके लिए संस्कृति विभाग (Culture Department) को पॉलिसी बनाने के निर्देश दिए हैं। इन त्योहार और मेलों को समय के साथ भुलाया जाने लगा था।उत्तराखंड में इस बार इगास पर्व जोर-शोर से मनाया गया।

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    देहरादून से दिल्ली तक इसकी धूम रही। यही नहीं, इगास के लिए प्रवासियों ने खासतौर पर अपने गांवों का रुख किया। राज्य सरकार की तरफ से इगास के दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के चलते छोटे-बड़े सभी ने, इस पर्व में भागीदारी की। इस त्योहार को लेकर दिखी रौनक के बाद सरकार भी उत्साहित है।

    इगास के साथ ही हरेला पर्व ने भी पिछले छह-सात साल के भीतर सामाजिक रूप से खासा विस्तार लिया है। इसके चलते सरकार पौराणिक त्योहारों को फिर से उनकी पुरानी भव्य पहचान वापस दिलाने का बीड़ा उठाने जा रही है। सरकार ने अन्य पौराणिक त्योहारों को फिर से बड़े स्तर पर मनाने का निर्णय लिया है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को अपनी संस्कृति के बारे में जानकारी मिलती रहे।

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    Culture Department – प्रदेश में फूलदेई, घी संग्राद, मकर संक्रांति, बग्वाल, बिटोली, नंदादेवी राजजात, उत्तरायणी, देवीधुरा, पूर्णागिरी मेला आदि बड़े स्तर पर मनाए जा सकते हैं। संस्कृति विभाग की निदेशक वीना भट्ट ने कहाकि सरकार जिन त्योहारों के लिए वित्तीय अनुदान देने के निर्देश देगी,उन्हें मदद उपलब्ध कराएंगे।

    साथ ही विभिन्न विधाओं को जारी रखने के लिए भी योजना संचालित की जा रही है। इसके लिए गुरु-शिष्य परंपरा योजना शुरू की गई है। इसमें गुरुओं को अपनी विधाओं में लगभग 15 शिष्यों को प्रशिक्षित करना होता है। भट्ट ने बताया, गुरुओं को शिष्यों को प्रशिक्षित करने के लिए छह-छह माह की कार्यशाला करनी होती है। विधाओं को लुप्त होने से बचाने के लिए यह योजना शुरू की गई है।

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