स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान साल 1942 में बलिया को आजाद कराने वाले चित्तू पांडेय की जमीन सोना उगलने वाली है. जिस जमीन पर महान स्वतंत्रता सेनानी चित्तू पांडेय का परिवार खेती करता है, उसमें (Chhittu Pandey’s Family Became Rich) कच्चे तेल का बड़ा भंडार मिला है. पुख्ता रिपोर्ट मिलने के बाद ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ONGC) ने इस परिवार से करीब साढ़े एकड़ जमीन पट्टे पर लेकर खुदाई का काम शुरू कर दिया है.
Chhittu Pandey’s Family Became Rich – इसके लिए सेनानी परिवार को करीब 10 लाख रुपये सालाना का भुगतान किया जा रहा है. अभी यह पट्टा केवल तीन साल के लिए हुआ है. यदि सबकुछ ठीक रहा तेल का प्लांट लगाने के लिए बाद में इस जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा. बता दें कि सेटेलाइट, भू-रासायनिक, गुरुत्वाकर्षण-चुंबकीय और मैग्नेटो-टेल्यूरिक (MT) सर्वेक्षण के दौरान तीन साल पहले पता चला था कि बलिया से लेकर प्रयागराज तक करीब 300 वर्ग किमी के गंगा बेसिन में कच्चे तेल का बहुत बड़ा भंडार है.
तीन साल तक चला परीक्षण
इस इनपुट के बाद ओएनजीसी के अधिकारियों ने अत्याधुनिक तकनीकों के जरिए परीक्षण शुरू किया. इसके लिए जगह जगह पर विस्फोट किए गए. इस दौरान चार स्थान ऐसे चिन्हित किए गए, जहां कुंआ खोदकर कच्चा तेल निकाला जा सकता है. इसमें एक स्थान बलिया का सागर पाली के पास वैना रत्तू चक है. यह स्थान नेशनल हाईवे और सागरपाली गांव के बीच है. ओएनजीसी ने खुदाई शुरू करने के लिए भारत सरकार, राज्य सरकार और जिला प्रशासन से एनओसी हासिल कर लिया था.
चित्तू पांडेय की जमीन पर खुदाई शुरू
अब बलिया को सबसे पहले आजाद कराने वाले चित्तू पांडेय के पड़पोते मिंटू पांडेय और उनके ही परिवार के चार अन्य लोगों की करीब साढ़े एकड़ जमीन को पट्टे पर लिया है. इस जमीन पर बाड़ लगाकर ओएनजीसी ने खुदाई भी शुरू कर दी है. इसके लिए असम से क्रेन एवं अन्य अत्याधुनिक उपकरण व मशीनें मंगाई गई हैं. इसी परिवार के नील पांडेय ने बताया कि कंपनी ने अभी तीन साल के लिए पट्टा हासिल किया है. इसके लिए उन्हें हर साल 10 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा. तीन साल बाद यदि जरूरी हुआ तो पट्टा एक साल के लिए और बढ़ाया जाएगा.