कोलकाता : भारत के अमर स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती (Building Glorious India) पर सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्वावधान में नेताजी लौह प्रणाम कार्यक्रम का आयोजन शहीद मीनार मैदान में किया गया। इस मैदान में कोलकाता और हावड़ा महानगर के करीब 15 हजार स्वयंसेवकों की उपस्थिति में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने संबोधित किया।उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन वैभवशाली भारत निर्माण के लिए कष्ट सहने, तपस्या करने और पूर्ण समर्पण का आदर्श उदाहरण है।
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संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि संघ की ओर से हर साल छोटे-बड़े स्तर पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृति में कार्यक्रमों का आयोजन होता है। कभी शाखा में तो कभी लोगों के बीच। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि नेता ऐसा हो जो पूरी तरह से समर्पित, स्वार्थ रहित और राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ आगे बढ़े और नेताजी सुभाष चंद्र बोस उसके मूर्त उदाहरण थे। आजाद हिंद फौज का गठन हुआ और सैनिकों को पैदल चलना पड़ता था तब नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी उनके साथ पैदल चलते थे। जो खाना सैनिक खाते थे वही नेताजी खाते थे और सबके बीच रहते हुए उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध घोष किया जिनके राज में सूरज अस्त नहीं होता था।
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Building Glorious India – उस समय उन्होंने भारत के दरवाजे पर दस्तक दी। अगर समय चक्र सही चलता तो नेताजी भारत के बहुत अंदर तक पहुंच सकते थे और देश काफी पहले स्वतंत्र हो जाता। सिखों के गुरु गोविंद सिंह का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि जिस तरह से गुरु गोविंद सिंह ने अपने पूरे जीवन को समाज के लिए बलिदान किया, उनके चारों पुत्रों को मौत के घाट उतार दिया गया बावजूद इसके उन्होंने अपने लोगों के लिए लड़ना बंद नहीं किया। उन्हें उपेक्षा भी सहनी पड़ी। ठीक उसी तरह से समर्पित युवा चाहिए जो वैभवशाली राष्ट्र का निर्माण कर सकें और नेताजी सुभाष चंद्र बोस उसके जीवंत उदाहरण थे।भागवत ने कहा कि नेताजी का विरोध करने वाले लोग भी कम नहीं थे।