
मृतक वेद सिंह का फाइल फोटो और ग्रामीण।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी (फाइल)
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मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार को पालन पोषण करने वाले मृतक वेद सिंह उर्फ वेदप्रकाश को अपने गांव रोहनात को शहीद का दर्जा दिलाने का ऐसा जुनून था कि उसने घर और काम छोड़कर आंदोलन की राह अपना ली। वेद सिंह करीब 23 साल से गांव के लोगोंं को उनका हक दिलाने के लिए उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते रहे।
गांव के साथी सुशील, जागे, रामफल और रमेश ने बताया कि मृतक वेद सिंह के दो लड़के और एक लड़की है। लड़की की शादी कर रखी है, एक लड़का दिव्यांग है। वेद सिंह ने 57 प्लाॅटों की मांग और गांव को शहीद का दर्जा देने की मांग को लेकर साल 2000 में दिए गए धरने में भी प्रमुख रूप से अपनी सहभागिता निभाई थी।
इसके चलते तत्कालीन इनेलो सरकार ने ग्रामीणों को उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था। ग्रामीणों ने 92 दिन तक चले धरने काे तत्कालीन इनेलो सरकार के आश्वासन के बाद खत्म कर दिया। लेकिन इसके बाद केंद्र और प्रदेश में सरकारें बदलती रहीं लेकिन उनकी मांग को अनसुना कर दिया गया।
ग्रामीण अधिकारियों और राजनेताओं के सामने अपनी मांगें रखते रहे लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। इसके अलावा ग्रामीण अधिकारियों से गांव से संबंधित रिकॉर्ड की मांग करते रहे लेकिन उन्हें वो भी नहीं मिला।
गांव के मान-सम्मान से संबंधित चल रही लड़ाई को लेकर ग्रामीण पिछले काफी सालों से संघर्षरत हैं। इसी संघर्ष के चलते 10 अगस्त 2022 को वेद सिंह अपने अन्य साथियों के साथ गांव में ही धरने पर बैठ गए। जब उन्हें वहां पर अपनी मांग सिरे चढ़ती नजर नहीं आई तो वे प्रशासन की अनुमति के बाद 10 मई 2023 को लघु सचिवालय के बाहर धरने पर बैठ गए। इसी धरनास्थल पर वेद सिंह ने हताश और न्याय न मिलने से परेशान होकर फंदे पर लटक गया।
गांव रोहनात के ग्रामीणों ने बताया कि पिछले डेढ़ साल से तो वेद सिंह आंदोलन में इस तरह शामिल हो गया था कि मुश्किल से 10 दिन ही अपने घर पर गया होगा। वह पिछले 156 दिनों से दिन-रात लघु सचिवालय पर धरनास्थल पर ही मौजूद रहता था। धरनास्थल पर ही वह गांव से आए लोगों से मिलता था और आंदोलन की आगामी रूपरेखा तैयार करता था।