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    Home » किसानों पर इल्जाम लगाना महंगा पड़ा: भोपाल में सड़क धंसने के मामले में MPRDC की पोल खुली, जांच में तकनीकी खामियों का खुलासा

    किसानों पर इल्जाम लगाना महंगा पड़ा: भोपाल में सड़क धंसने के मामले में MPRDC की पोल खुली, जांच में तकनीकी खामियों का खुलासा

    October 15, 2025 मध्य प्रदेश 3 Mins Read
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    भोपाल के पूर्वी बाईपास पर सड़क धंसने की घटना ने निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम (MPRDC) ने इस मामले पर अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट जारी की है, जिसमें निगम ने एक अजीब तर्क देते हुए कहा कि सड़क किसानों द्वारा मिट्टी खोदने की वजह से धंसी. हालांकि, रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया है कि सड़क का निर्माण तकनीकी मानकों के अनुरूप नहीं किया गया था और मिट्टी की गुणवत्ता भी संतोषजनक नहीं थी.

    दरअसल, सोमवार को भोपाल के सूखी सेवनिया रेलवे ओवरब्रिज (ROB) के पास बाईपास का लगभग 75 मीटर लंबा हिस्सा अचानक धंस गया. सड़क के नीचे बनी आर.ई. वॉल (Retaining Wall) क्षतिग्रस्त हो गई, जिससे पूरी सड़क धंस गई. गनीमत यह रही कि उस समय वहां कोई वाहन नहीं था, जिससे किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई. घटना के तुरंत बाद MPRDC और पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पूरे क्षेत्र को बैरिकेड कर दिया और यातायात को दूसरी लेन से डायवर्ट कर सुचारू रूप से संचालित किया जा रहा है.

    निर्माण गुणवत्ता पर उठे सवाल

    MPRDC की ओर से मंगलवार शाम जारी बयान में बताया गया कि प्रथम दृष्टया निरीक्षण में तकनीकी टीम ने पाया कि निवेशक कंपनी ने आर.ई. वॉल का निर्माण निर्धारित मानकों के अनुसार नहीं किया. मिट्टी की गुणवत्ता कमजोर थी और इम्बैंकमेंट में स्टोन पिचिंग का कार्य नहीं किया गया था. बारिश के दौरान पानी के रिसाव से मिट्टी और अधिक कमजोर हुई, वहीं किसानों द्वारा दीवार के पास मिट्टी खोदने से जल निकासी अवरुद्ध हो गई. नतीजतन, पानी भरने से इम्बैंकमेंट के भीतर दबाव बढ़ा और सड़क का हिस्सा धंस गया.

    जांच समिति का गठन

    घटना के बाद निगम ने तीन वरिष्ठ तकनीकी अधिकारियों की जांच समिति गठित कर दी है, जो सात दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगी. इसके साथ ही धंसे हुए हिस्से की मरम्मत का कार्य तत्काल शुरू कर दिया गया है, जिसे दस दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. निगम ने यह भी बताया कि निर्माण में प्रयुक्त मिट्टी के नमूने लेकर उन्हें PWD की केंद्रीय प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजा गया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद निर्माण में लापरवाही पाए जाने पर निवेशक, कंसल्टेंट और संबंधित विभागीय अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी.

    गौरतलब है कि भोपाल ईस्टर्न बाईपास का निर्माण बी.ओ.टी. (टोल) योजना के तहत किया गया था. इसका काम हैदराबाद की ट्रांसट्रॉय प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को सौंपा गया था. यह परियोजना 18 नवंबर 2010 को हुए अनुबंध के तहत 2012-13 में पूरी हुई थी. अनुबंध की अवधि 15 वर्ष तय की गई थी, लेकिन 2020 में कंपनी द्वारा अनुबंध की शर्तों का पालन न करने पर अनुबंध निरस्त कर दिया गया और कंपनी को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया.

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