चंडीगढ़: दशहरे से एक दिन पूर्व प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज द्वारा पुलिस विभाग के लापरवाह 372 जांच अधिकारियों के निलंबन का एक बड़ा फैसला लिया गया। तुरंत प्रभाव से यह आदेश पुलिस महानिदेशक के पास भी भिजवा दिए गए। आखिर इतने बड़े डिसीजन लेने के पीछे विज की क्या मजबूरी रही होगी यह विचारणीय पहलू अवश्य है। इसलिए इसे जानना जरूरी है। पुलिस का दोहरा चेहरा आम जनमानस के लिए बड़ी परेशानी का सबब बनना अनिल विज की पीड़ा देता है।वह कहते हैं कि अपना काम कर रहा हूं किसी पर एहसान नहीं, मुझे धन्यवाद की जरूरत नहीं
आज अगर धरातली हकीकत की बात करें तो यह बात अवश्य है कि आज प्रदेश पुलिस की छवि अन्य सभी विभागों से अधिक खराब है। अन्य महत्वपूर्ण विभागों में खराबी सिर्फ भ्रष्टाचार है, जिनमे शर्तें पूर्ण करने पर कार्य अवश्य हो जाता है। लेकिन हरियाणा पुलिस का दोहरा चेहरा आम जनमानस के लिए बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ है। पुलिस विभाग में कार्यरत अधिकतर लोग अगर कहें कि चोरी भी और सीना जोरी भी की कार्यशाली अपनाते हैं तो इसमें कोई दो राय नहीं है। समय-समय पर गृहमंत्री के दरबार में लोगों की शिकायतें इसी से संबंधित रहती हैं।
कमजोर नियंत्रण प्रदेश सरकार और वरिष्ठ अधिकारियों के लिए बेहद शर्म की बात ?
आज पुलिस विभाग में कथित दलालों, चहेतो या सेवादारों के कहने पर सच को झूठ और झूठ को सच बनाने की कार्यशाली की चर्चा प्रदेशभर में होना आम बात है। अनिल विज के दरबार में आने वाली 80 फ़ीसदी शिकायतें पुलिस विभाग से असंतुष्ट की होती हैं। इसलिए यह अंदाजा लगाना कतई आसान है कि जनता पुलिस विभाग से कितनी अधिक परेशान है। प्रदेश सरकार और वरिष्ठ अधिकारियों के लिए भी वास्तव में यह बेहद शर्म की बात है कि उनका नियंत्रण विभाग पर कितना अधिक कमजोर है।
विज के औचक निरीक्षण कई बार विभाग के लिए हुए हैं वरदान साबित
वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के गृह- स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की छवि पहले दिन से ही बेहद कर्मठ- कर्तव्यनिष्ठ- सख्त और ईमानदार व्यक्तित्व की रही है। हमेशा अपने विभागों की शुद्धिकरण के लिए जाने जाने वाले विज कभी असूलों से समझौता करते नहीं देखे गए। मनोहर पार्ट वन में विज स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर जनरल हेल्थ तक के कार्यालय में भी छापा मारने पहुंच गए थे। इनके द्वारा कई सरकारी अस्पतालों में औचक निरीक्षण कर सुधारात्मक फैसलें भी लिए गए। इनके निरीक्षण कई सरकारी अस्पतालों के लिए वरदान भी साबित हुए। जहां खराब बिल्डिंगों तथा व्यवस्थाओं को तुरंत दुरुस्त करने या नया बनाने के फैसले मौके पर लिए गए। इसी तरह गृह विभाग में भी विज की कार्यशैली हमेशा जनसमर्पित रही है। कई थानों में अचानक पहुंचकर अनियमितताएं देखने पर संबंधित लापरवाह-कामचोर कर्मचारियों पर सख्त फैसले लेते अनिल विज देखे गए हैं। हाल फिलहाल में अनिल विज द्वारा जिस प्रकार से सस्पेंशन का इतना बड़ा फैसला लिया गया, इसमें उन्हें अधिकारियों का कितना सहयोग मिलेगा यह तो देखने वाला विषय रहेगा।
हरियाणा के इतिहास में इतना बड़ा फैसला किसी मुख्यमंत्री ने भी नहीं लिया
इतना तो तय है कि एकदम से इस इतने बड़े सस्पेंशन ऑर्डर ने पुलिस विभाग में खलबली मचा दी है। क्योंकि 1 नवंबर 1966 हरियाणा गठन के बाद से अब तक की यह लापरवाह पुलिस अधिकारियों- कर्मचारियों पर की गई सबसे बड़ी कार्रवाई है। हरियाणा के इतिहास में अब तक किसी मुख्यमंत्री तक ने इतनी बड़ी कार्रवाई करने का हौसला नहीं दिखाया है।
अपना काम कर रहा हूं किसी पर एहसान नहीं, मुझे धन्यवाद की जरूरत नहीं : विज
बता दें कि प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज हमेशा सभी अन्य मंत्रियों के लिए ईमानदारी की मिसाल माने जाते हैं। सैकड़ों फरियादियों की भीड़ में बहुत से लोग इंसाफ मिलने के बाद धन्यवाद के लिए भी विज के दरबार में पहुंचते हैं। जिनमें से कुछ संतोषजनक कार्य होने के बाद अपनी खुशी से मिठाई लेकर विज के निवास में आने का प्रयास करते हैं। लेकिन विज के निर्देशानुसार सुरक्षाकर्मी किसी भी प्रकार का तोहफा या मिठाई अंदर नहीं लाने देते। कोई एकाध अगर धन्यवाद करता भी है तो विज की सीधी प्रतिक्रिया रहती है कि मैं केवल अपना काम कर रहा हूं किसी पर एहसान नहीं। इसलिए मुझे किसी प्रकार के धन्यवाद की जरूरत नहीं है।
पुलिस जवानों के कल्याण हेतु विज ने समय-समय पर कर्मचारियों की वकालत भी की
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल विज की विभागीय कार्य प्रणाली का सदा ख़ौफ रहा है। उनकी कार्यशैली हमेशा व्यवस्था सुधारक की रही है। जब-जब जिस जिस विभाग की जिम्मेदारी उनके कंधों पर डाली गई, उन्होंने हर विभाग का कायाकल्प पूरी ईमानदारी और निष्ठा से किया है। आज विशालकाय स्वास्थ्य विभाग का जनता के लिए कल्याणकारी साबित होना अनिल विज की देन है। वही इन्होंने खेल विभाग में बेहद सुधारात्मक कार्य किया। बहुत से मौकों पर पुलिस के जवानों के कल्याण हेतु अनिल विज कर्मचारियों की वकालत करते देखे गए। अच्छे कार्य करने वाले पुलिस कर्मचारियों की सराहना हर मौके पर गृहमंत्री द्वारा जहां की गई, वहीं बहादुर और ईमानदार कर्मचरियों के सम्मान में अवार्ड शुरू करना भी अनिल विज की देन है। वहीं 372 पुलिसकर्मियों के एक साथ निलंबन के कारण को जानना भी बेहद जरूरी है।
क्या निलंबन का फैसला हरियाणा पुलिस और सरकार की साख बचाने का प्रयास ?
बाहर से बेहद कठोर अनिल विज वास्तव में अंदर से बेहद नरम और भावुक इंसान हैं। इसलिए निलंबन की इस पूरी घटना का आकलन किया जाए तो इतने बड़े फैसले के पीछे कहीं ना कहीं अनिल विज की मजबूरी ही मानी जा सकती है। क्योंकि अपने विभाग पर मजबूत कमांड रखने के लिए कई बार सख्त फैसलों की आवश्यकता अवश्य होती है। अनिल विज हमेशा सरकार की साख बचाने में आगे रहने वाले इंसान रहे हैं। सरकारी डंडा और सरकारी गाड़ी लेकर घूमने वाली पुलिस की छवि आज ऐसी बन चुकी है कि अपराधी की बजाए शरीफ व्यक्ति पुलिस से अधिक डरा हुआ नजर आता है। कोई घटना घटने पर पीड़ित थाना चौकियों में जाने से डरता है। आम लोगों में तो चर्चा यहां तक रहती है कि पुलिस का माहौल ऐसा बन चुका है कि चोर चोरी करते पकड़ा गया तो जेब कतरा जाकर पुलिस से मिल बहुत आसानी से उस चोर को छुड़वाकर ले आता है, ओर अगर कोई शरीफ आदमी उसे चोर को छुड़वाने जाए तो पुलिस उस शरीफ व्यक्ति को बेहद शर्मसार कर देने वाले कृत्य करती है यानि कुछ पुलिसकर्मियों के कारण पुलिस की छवि पूरी तरह से धूमिल है और यही मलाल प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज को। पुलिस की कार्यशैली में सुधार लाने के लिए ऐसा लगता है कि गृहमंत्री द्वारा यह सख्त फैसला लिया गया। यह एक संदेश है।
पुलिसिया कार्यशैली नहीं सुधरी तो सरकार पुलिस की शक्तियों को कर सकती है कई जगह वितरित ?
लापरवाह मुलाजिमान अगर इंसानियत के तौर पर पीड़ित की जगह अपने परिवार को रखकर देखें तो शायद उनमें घर कर चुकी कर्तव्यहीनता निकलकर बाहर आ जाएगी। उन्हें एहसास हो जाएगा कि उनकी इस कार्यशैली से सामने वाले को कितनी पीड़ा हुई होगी। खासतौर पर अब वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को ज्यादा ध्यान देना होगा। यदि पुलिसिया कार्यशैली ऐसी ही रही तो निश्चिततौर पर सरकार को पुलिस की शक्तियां कई जगह वितरित करनी पड़ सकती है। पुलिस अधिकारियों को सोचना होगा कि उनके सुस्त और कमजोर नियंत्रण से अधीनस्थ कर्मचारी निरंकुश तो नहीं हो गए। जनता त्रस्त होती है जो कुछ नहीं कर सकती। आम जनता का कार्य वोट देकर सरकार बनाना होता है। अच्छी सरकार का चयन कर आम शरीफ लोग अमन चैन की उम्मीद करते हैं। व्यवस्था को सुधारना- चलाना मंत्री परिषद और अधिकारियों का काम है। अब इतनी बड़ी मात्रा में एक साथ जांच अधिकारियों के निलंबन जो मंत्री विज द्वारा किए गए इससे पुलिस अधिकारियों को समझते हुए गलतियों मे सुधार के कार्य पर काम करना होगा।
गृहमंत्री के निर्देशों-आदेशों की पालना नहीं करने पर लिया गया यह बड़ा फैसला
गृह मंत्री का जनहित में यह कड़ा रुख बेशक 372 जांच अधिकारियों (आईओ) को निलंबित करने का है, लेकिन इसके परिणाम बेहद दूरगामी होंगे। जो जनता के लिए वरदान साबित होंगे। इस पर तुरंत कार्रवाई के लिए विज ने एक पत्र पुलिस महानिदेशक को लिखा है। दरअसल इस संदर्भ में गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को 11 मई, 2023 को पत्र लिखकर सूचना भी मांगी गई थी। पूर्व एवं नवनियुक्त पुलिस महानिदेशक को इन लापरवाह जांच अधिकारियों को कारण बताओं नोटिस देने के आदेश दिए गए थे। संतोषजनक जवाब ना देने वाले लोगों के खिलाफ यह कार्रवाई अमल में लाई गई है। विभिन्न जिलों में मौजूद यह 372 जांच अधिकारी (आईओ) जिनमे गुरुग्राम में 60, फरीदाबाद 32, पंचकूला 10, अम्बाला 30, यमुनानगर 57, करनाल 31, पानीपत 3, हिसार 14, सिरसा 66, जींद 24, रेवाड़ी 5, रोहतक 31 और सोनीपत में 9 मौजूद हैं।
विज के अनुसार उन्होंने “प्रदेश में दर्ज एफआईआर के शीघ्र निस्तारण के लिए कई बार कहा। पिछले महीने उन्होंने 1 वर्ष में एफ आई आर का निपटारा नहीं करने वाले सभी आईओ से स्पष्टीकरण मांगने के भी आदेश दिए थे। जिनकी संख्या लगभग 3229 थी। विज के निर्देश के बावजूद 372 आईओ ऐसे हैं जिन्होंने मामलों का अंतिम रूप से निपटारा नहीं किया और उनके द्वारा बताए गए कारण संतोषजनक नहीं हैं। जानबूझकर यह लोगों को शिकायतों पर कार्रवाई के लिए इधर-उधर भटकने पर मजबूर कर रहे हैं जोकि बेहद गंभीर मामला है। इसलिए अनिल विज ने इसे नजरअंदाज नहीं करते हुए इस पर बड़ा फैसला लिया है। गृह मंत्री ने पुलिस महानिदेशक को लिखें पत्र में “इन सभी जांच अधिकारियों को तुरंत निलंबित करने के निर्देश दिए हैं। और संबंधित मामलों को एक महीने में अंतिम निपटान के लिए संबंधित डीएसपी को स्थानांतरित करने के लिए लिखा है।