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    Home » स्ट्रोक के रोकथाम और उपचार के लिये रणनीतिक कदम उठाना जरूरी- डॉ. हिमांशु अग्रवाल

    स्ट्रोक के रोकथाम और उपचार के लिये रणनीतिक कदम उठाना जरूरी- डॉ. हिमांशु अग्रवाल

    October 27, 2023 हरियाणा 3 Mins Read
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    चंडीगढ़। प्रति वर्ष 29 अक्टूबर को मनाया जाने वाला विश्व स्ट्रोक दिवस भारत में स्ट्रोक की बढ़ती घटनाओं के प्रबंधन की ओर ध्यान आकर्षित करता है। स्ट्रोक एक गंभीर मेडिकल आपात स्थिति है, जिसमें लंबे समय तक होने वाले विकलांगता को कम करने और रोगी के स्वास्थ्य में सुधार के लिये सघन उपचार की आवश्यकता होती है। स्ट्रोक, मस्तिष्क में निरंतर रक्त आपूर्ति में अचानक अवरोध से उत्पन्न होता है, जिसके चलते तंत्रिका संबंधी कार्य में नुकसान होता है। रक्त आपूर्ति में रूकावट किसी ब्लॉकेज के कारण हो सकती है, जिससे आम इस्केमिक स्ट्रोक हो सकता है, या मस्तिष्क में रक्तस्राव हो सकता है, जिससे जानलेवा रक्तस्रावी स्ट्रोक हो सकता है।

    स्ट्रोक के रोकथाम और इसके उपचार के लिये जरूरी रणनीतियों को अपनाना आवश्यक है। इस बारे में इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी, मैक्स हॉस्पिटल, साकेत के प्रमुख सलाहकार, डॉ. हिमांशु अग्रवाल स्ट्रोक के निदान के लिये समग्र दृष्टिकोण अपनाने की सलाह देते हैं। उनके मुताबिक स्ट्रोक आने पर सबसे महत्वपूर्ण बिना देरी किये मस्तिष्क में रक्त प्रवाह और ऑक्सीजन की आपूर्ति बहाल करना है। ऐसा इसलिये आवश्यक है क्योंकि ऑक्सीजन और जरूरी पोषक तत्वों के बिना, प्रभावित मस्तिष्क कोशिकाएं या तो क्षतिग्रस्त हो जाएंगी या कुछ ही मिनटों में मर जाएंगी। मृत होने के बाद मस्तिष्क कोशिकाएं आमतौर पर पुनर्जीवित नहीं होती हैं, जिससे कभी-कभी शारीरिक, ज्ञान संबंधी और मानसिक विकलांगता हो सकती है। स्ट्रोक का प्रभाव विशेषरूप से इस पर निर्भर करता है कि अवरोध कहां है और मस्तिष्क के कितने टिश्यू प्रभावित होते हैं। मस्तिष्क का एक किनारा शरीर के दूसरे हिस्से को नियंत्रित करता है, इसलिए दाएं हिस्से को प्रभावित करने वाला स्ट्रोक शरीर के बाईं तरफ तंत्रिका संबंधी परेशानियां पैदा करेगा।

    स्ट्रोक प्रबंधन में स्ट्रोक के पैथोफिजियोलॉजी का इलाज करना शामिल है। स्ट्रोक आने पर व्यक्ति बिना किसी नुकसान के कितनी जल्दी ठीक हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह नियत समय पर अस्पताल पहुंचा हो।  जिन स्ट्रोक के मरीजों को एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया जाता है, उनका इलाज उन लोगों की तुलना में अधिक तेजी से किया जा सकता है जो एम्बुलेंस से नहीं पहुंचते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपातकालीन उपचार अस्पताल ले जाने के रास्ते में ही शुरू हो जाता है। सफल उपचार के लिए स्ट्रोक के प्रकार और नुकसान के सटीक स्थान का तुरंत निदान महत्वपूर्ण है। डिजिटल इमेजिंग, माइक्रोकैथेटर और अन्य न्यूरो-इंटरवेंशनल प्रौद्योगिकियों जैसे तकनीकी विकास ने स्ट्रोक का निदान और उपचार करना संभव बना दिया है।

    एक्यूट इस्केमिक स्ट्रोक (एआईएस) वाले रोगियों के लिए इंट्रावेनस टिश्यू-टाइप प्लास्मिनोजेन एक्टिवेटर (आईवी टीपीए) के साथ थ्रोम्बोलिसिस एकमात्र स्वीकृत उपचार है। समय पर उपचार से उल्लेखनीय लाभ होते हैं। अल्टेप्लेस के साथ आईवीटी इस्केमिक स्ट्रोक की शुरुआत के 4.5 घंटे के भीतर दिए जाने पर तीन से छह महीने में कार्य संबंधी परिणाम में सुधार करता है। एक्यूट इस्केमिक स्ट्रोक के लिए आईवीटी का लाभ समय के साथ लगातार कम होता जाता है।

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