श्रीहरिकोटा : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कुछ दिन पहले (Successful Launch Of Aditya L1) चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने के बाद एक बार फिर इतिहास रचने के उद्देश्य से शनिवार को देश के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल1 का यहां स्थित अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया। इसरो ने बताया कि आदित्य-एल1 यान पीएसएलवी रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया है। भारत का यह मिशन सूर्य से संबंधित रहस्यों से पर्दा हटाने में मदद करेगा।
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इसरो के अधिकारियों ने बताया कि जैसे ही 23.40 घंटे की उलटी गिनती समाप्त हुई, 44.4 मीटर लंबा ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 11.50 बजे निर्धारित समय पर शानदार ढंग से आसमान की तरफ रवाना हुआ। इसरो के अनुसार आदित्य-एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है। यह अंतरिक्ष यान 125 दिन में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर लंबी यात्रा करने के बाद लैग्रेंजियन बिंदु एल1 के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित होगा, जिसे सूर्य के सबसे करीब माना जाता है। यह वहीं से सूर्य पर होने वाली विभिन्न घटनाओं का अध्ययन करेगा। आदित्य एल1 सूर्य के रहस्य जानने के लिए विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक अध्ययन करने के साथ ही विश्लेषण के वास्ते इसकी तस्वीरें भी धरती पर भेजेगा।
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Successful Launch Of Aditya L1 – वैज्ञानिकों के मुताबिक, पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच लैग्रेंजियन बिंदु (या पार्किंग क्षेत्र) हैं, जहां पहुंचने पर कोई वस्तु वहीं रुक जाती है। लैग्रेंज बिंदुओं का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर पुरस्कार प्राप्त करने वाले उनके अनुसंधान पत्र- एस्से सुर ले प्रोब्लेम डेस ट्रोइस कॉर्प्स, 1772 के लिए रखा गया है। लैग्रेंज बिंदु पर सूर्य और पृथ्वी के बीच गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित होता है, जिससे किसी उपग्रह को इस बिंदु पर रोकने में आसानी होती है। सूर्य मिशन को आदित्य एल-1 नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि यह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन बिंदु1 (एल1) क्षेत्र में रहकर अपने अध्ययन कार्य को अंजाम देगा।