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    Home » असम के कुछ जिलों में अल्पसंख्यक नहीं माने जायेंगे मुस्लिम, हो सकता है पुनः आकलन

    असम के कुछ जिलों में अल्पसंख्यक नहीं माने जायेंगे मुस्लिम, हो सकता है पुनः आकलन

    March 31, 2022 देश 3 Mins Read
    Assam
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     Assam – असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को सदन में कहा कि कोई भी समुदाय अल्पसंख्यक है या नहीं, इसका आकलन राज्य या जिले की कुल आबादी के आधार पर होना चाहिए। असम (Assam) विधानसभा में बजट सत्र के दौरान सरमा ने कहा, “कोई समुदाय अल्पसंख्यक है या नहीं, यह उसके धर्म, संस्कृति या शैक्षिक अधिकारों के लिए खतरों पर निर्भर करता है। अगर ऐसा कोई खतरा नहीं है, तो उस समुदाय को अब अल्पसंख्यक नहीं माना जा सकता है।”

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    भाजपा विधायक मृणाल सैकिया द्वारा असम में समुदायों को अल्पसंख्यक माने जाने वाले सवाल का जवाब देते हुए सरमा ने कहा कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और संविधान के अनुच्छेद 25 से 30 में दी गई परिभाषाओं के अनुसार, “कोई भी सीधे तौर पर यह नहीं कह सकता है कि मुसलमान, बौद्ध या ईसाई अल्पसंख्यक हैं, क्योंकि वे एक विशेष राज्य में अल्पसंख्यक हैं।”

    सरमा ने कहा, “कोई समुदाय अल्पसंख्यक है या नहीं इसकी परिभाषा उस विशेष राज्य या जिले में मौजूद वास्तविकता के आधार पर होनी चाहिए। यह चिंता का विषय है और वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट भी इस पर सुनवाई कर रहा है।”केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने हलफनामे में कहा है कि छह समुदायों (ईसाई, सिख, मुस्लिम, बौद्ध, पारसी और जैन) को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक के रूप में अधिसूचित किया है। साथ ही राज्य और केंद्र शासित प्रदेश, जहां हिंदुओं की संख्या कम है, वहा उन्हें अल्पसंख्यक के रूप में अधिसूचित किया जा सकता है।

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    सरमा ने कहा, “असम (assam) के संदर्भ में बराक घाटी में बंगाली बोलने वालों को भाषाई अल्पसंख्यक नहीं कहा जा सकता है। वहीं, असमिया, रेंगमा नागा और मणिपुरी बोलने वाले वहां भाषाई अल्पसंख्यक हैं। ब्रह्मपुत्र घाटी के कुछ हिस्सों में बंगाली भाषी भाषाई अल्पसंख्यक होंगे।” उन्होंने कहा, “लंबे समय से भारत में यह भावना थी कि देश भर में सभी मुसलमान अल्पसंख्यक हैं। लेकिन अब इस परिभाषा को चुनौती दी गई है। केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट को बताया गया है कि हिंदू भी परिस्थितियों के आधार पर एक विशेष राज्य में अल्पसंख्यक हो सकते हैं।” उन्होंने कहा कि असम के दक्षिण सलमारा जिले में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, जबकि मुस्लिम बहुसंख्यक हैं।

    इसे भी पढ़ें – सीएम ने कहा,अब असम में अल्पसंख्यक नहीं रहे मुस्लिम

    मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, केवल केंद्र ही यह निर्धारित कर सकता है कि किन समुदायों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जा सकता है। असम में नागांव, धुबरी जैसे कई जिले हैं, जहां मुस्लिम बहुसंख्यक आबादी हैं। सीएम ने कहा, “हमारे संविधान में अल्पसंख्यकों की कोई परिभाषा नहीं थी। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग बनने के बाद ही इस शब्द को परिभाषित किया गया। वहां भी केवल धार्मिक अल्पसंख्यकों को ही माना जाता था, भाषाई अल्पसंख्यकों को नहीं। अल्पसंख्यकों के रूप में माने जाने वाले धार्मिक समुदायों में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन हैं।”

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