भारत की सेना अब एक ऐसे दौर में प्रवेश कर रही है, जहां युद्ध केवल बंदूकों और टैंकों से नहीं, बल्कि तकनीक, बुद्धिमत्ता और तत्परता से लड़े जाएंगे. दुनियाभर में चल रही जंग को देखते हुए देश की (Name mythological, strength modern) सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. साइबर हमले, ड्रोन युद्ध, डेटा निगरानी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नए खतरे बॉर्डर पर मौजूद खतरों से कहीं आगे निकल चुके हैं. ऐसे समय में भारतीय सेना ने एक नई दिशा में कदम बढ़ाते हुए ‘रुद्र ब्रिगेड’ की शुरुआत की है. यह नई सैन्य इकाई भारत की रक्षा रणनीति में एक ऐतिहासिक बदलाव के संकेत हैं.
रुद्र ब्रिगेड को भविष्य की जंगों के लिए एक ऐसी यूनिट के तौर पर तैयार किया गया है जो तीनों सेना का प्रतिनिधित्व करेगी. इसमें पैदल सेना, टैंक रेजिमेंट, मैकेनाइज्ड इंफेंट्री, तोपखाना, इंजीनियर्स, सिग्नल्स, स्पेशल फोर्सेज और ड्रोन यूनिट- सभी को एक कमांड के तहत लाया जाएगा. इसका उद्देश्य है कि देश की सीमाओं पर किसी भी आकस्मिक हमले या आपात स्थिति में सेना तुरंत जवाब दे सके. हर रुद्र ब्रिगेड में लगभग तीन हजार सैनिक होंगे और इसे एक ब्रिगेडियर के नेतृत्व में इसे दिशा-निर्देश दिए जाएंगे. इसकी खासियत यह होगी कि यह पूरी तरह आत्मनिर्भर होगी, यानी इसमें वह सब कुछ होगा जो किसी युद्ध की जरूरतों को पूरा करता हो.