लुधियाना : हल्का वेस्ट के उप चुनाव में मिली हार के बाद सियासी गलियारों में एक ही चर्चा सुनने को मिल रही है कि कांग्रेस को अंदरूनी लडाई ले डूबी। हालांकि इस लडाई की शुरूआत लोकसभा चुनावों के समय हुई थी, जब राजा वडिंग ने आशु की टिकट कटवा दी और आशु द्वारा राजा वडिंग की मदद न करने की चर्चा हुई। अब आशु को हल्का वेस्ट में होने वाले उप चुनाव की टिकट मिली तो उन्होंने पहले होर्डिंग में राजा वडिंग की फोटो नही लगाई और फिर (post of Raja wading) लोकल लीडरशिप में शामिल सुरेंद्र डाबर, राकेश पांडे, संजय तलवाड, बैंस बदर्ज, कुलदीप वैद व जस्सी खंगुडा के साथ आए पंजाब कांग्रेस प्रधान को बिना मिले बैरंग लौटा दिया।
हालांकि इसके बाद राजा वडिंग हाईकमान के कहने पर आशु के नामांकन दाखिल करवाने और प्रदेश प्रभारी भूपेश बघेल के साथ प्रेस कांफ्रेंस में शामिल होने गए। लेकिन घर के बाद आफिस में भी आशु ने राजा वडिंग से मुलाकात नही की और वापिस चले गए, जिसका गुस्सा राजा वडिंग ने रोड शो में शामिल न होकर निकाला। इसी तरह लोकल लीडरशिप में शामिल उक्त नेता भी लुधियाना के एमपी राजा वडिंग की तरह शहर में होने के बावजूद आशु के प्रचार अभियान का हिस्सा नही बने।
post of Raja wading – जिसे कांग्रेस में राजा वडिंग के विरोधी गुट चरणजीत चन्नी, राणा गुरजीत सिंह, प्रगट सिंह, राज कुमार वेरका, किक्की ढिल्लों आदि के आशु के चुनाव की कमान संभालने को भी माना जा रहा है। इस सबसे बढकर सोमवार को आशु की हार के बाद फेसबुक पर राजा वडिंग की विकटरी साइन वाली पोस्ट में हलचल मचा दी, जिसे बाद में हटा दिया गया। इस मामले में आशु ने कहा कि अगर ऐसी कोई पोस्ट डाली गई है तो छोटी सोच का नतीजा है।