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    Home » कहीं पर निगाहें और कहीं पर निशाना… सीजफायर पर यूं ही आक्रामक नहीं कांग्रेस

    कहीं पर निगाहें और कहीं पर निशाना… सीजफायर पर यूं ही आक्रामक नहीं कांग्रेस

    May 14, 2025 देश 2 Mins Read
    somewhere eyes and targets somewhere
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    पहलगाम आतंकी हमला और इसके बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर कांग्रेस सरकार के साथ खड़ी दिख रही थी, लेकिन पाकिस्तान के साथ युद्धविराम की घोषणा के बाद कांग्रेस का रुख आक्रामक हो (somewhere eyes and targets somewhere) गया है. कांग्रेस ने सीजफायर में अमेरिका की भूमिका पर फोकस करते हुए युद्धविराम का विवरण मांगा और मोदी सरकार से देश को विश्वास में लेने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग रख दी है. कांग्रेस भले ही अमेरिका की मध्यस्थता वाले दावे को लेकर निशाना बना रही हो, लेकिन उसकी निगाहें कहीं और हैं.

    भारत-पाकिस्तान के युद्धविराम पर कांग्रेस ने यूं ही आक्रामक तेवर नहीं अपना रखा है बल्कि 2016 और 2019 में सियासी कहानी छिपी हुई है. मोदी सरकार में 2016 में उरी अटैक के बाद पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक के जरिए आतंकियों को मौत के घाट उतारा गया था, इसका लाभ बीजेपी को मिला था. इसी तरह ऑपरेशन सिंदूर के लेकर सियासी एजेंडा सेट किए जाने लगा है.

    somewhere eyes and targets somewhere – कांग्रेस यह जानना चाहती है कि युद्धविराम के लिए क्या भारत को पाकिस्तान की तरफ से आतंकवादी ढांचे को पूरी खत्म करने के बारे में कोई ठोस आश्वासन मिला था, जिसके कारण अचानक युद्धविराम करना पड़ा. इसके अलावा अमेरिका के हस्तक्षेप पर भी कांग्रेस मोदी सरकार को घेरने में जुट गई है. भारत और पाकिस्तान गतिरोध में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से कांग्रेस के नेता हैरान हैं. ऐसे में देश की सबसे पुरानी पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व का बखान कर रही है.

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