इजराइल के एक्शन की वजह से रमजान के बीच गाजा के मुसलमानों की टेंशन बढ़ गई है. गाजा में चीनी 200 रुपए किलो तो चिकन 1200 रुपए किलो बिक रहा है, जिसके कारण इफ्तार (even after the end of war) और सेहरी पर संकट के बादल छा गए हैं. फिलिस्तीन और इजराइल सीमा पर स्थित गाजा में करीब 20 लाख मुसलमान रहते हैं.
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक इजराइल ने युद्ध की वजह से गाजा में सामानों की आपूर्ति रोक दी है, जिसके कारण गाजा में चीनी 200 रुपए किलो, चिकन 1200 रुपए किलो और रसोई गैस की कीमत 35883 रुपए प्रति सिलेंडर है.
आटे और सब्जी की कीमत में आग लगी
यूनिसेफ के मुताबिक युद्ध विराम न होने की वजह से गाजा में आटे और सब्जी की कीमत में आग लग गई है. दोनों की कीमतों में देखते ही देखते 100 गुना बढ़ोतरी हो गई है. लोग खाने के संकट से जूझने लगे हैं. यूनिसेफ का कहना है कि सप्लाई को लेकर अगर तुरंत फैसला नहीं किया गया तो लोग खाने और दवाई की वजह से मर सकते हैं.
त्वरित तौर पर यूनिसेफ मुस्लिम देशों की मदद से गाजा में लोगों को खाना उपलब्ध करवा रही है. हालांकि, जिस तरीके से इजराइल ने मजबूत बैरिकेडिंग कर दी है, उससे यूनिसेफ की राह भी आगे आसान नहीं है.
अरब देशों ने हमास के खात्मे की स्क्रिप्ट लिखी
अरब देशों ने गाजा के विकास के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया है. इसके तहत गाजा में हमास को खत्म कर दिया जाएगा. इसके बदले नए सिरे से विकास को लेकर एक संगठन तैयार किया जाएगा. अरब देशों ने यह फैसला गाजा के पुनर्विकास को देखते हुए किया है.
even after the end of war – अरब देशों की डील को अगर फिलिस्तीन मानता है तो वहां बंदरगाह से लेकर एयरपोर्ट तक के निर्माण कराए जाएंगे. यह विकास काम पूरे 5 साल तक गाजा में चलेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप गाजा और इजराइल के बीच शांति समझौता कराने में जुटे हैं.