
पूर्व मेजर चंद्र सिंह मलिक
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15 अगस्त 1947 को प्रथम स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देने वाले 98 वर्षीय पूर्व मेजर चंद्र सिंह मलिक ने 28 अगस्त की देर रात अंतिम सांस ली। मंगलवार को उनके पैतृक गांव खरावड़ में उनका अंतिम संस्कार किया गया। पूर्व फौजी के बेटे सत्यवीर मलिक ने चंद्रसिंह मलिक को मुखाग्नि दी। उनकी अंतिम विदाई में शामिल परिजनों, ग्रामीणों व पूर्व सैनिकों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी।
गोवा मुक्ति ऑपरेशन में सक्रिय भूमिका निभाई
कैप्टन जगबीर मलिक प्रवक्ता हरियाणा पूर्व सैनिक संघली ने बताया कि एक दिसंबर 1925 को गांव खरावड़ में चौधरी न्यादर सिंह मलिक के घर जन्मे मेजर चंद्रसिंह मलिक बाल्यकाल से ही विशिष्ट प्रतिभा की धनी थे। 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद 1942 में एक जवान के रूप में सेना में भर्ती हुए। विश्व युद्धों में हिस्सा लेने के अलावा भारत-पाक युद्ध, भारत-चीन युद्ध के अलावा 1961 में गोवा मुक्ति ऑपरेशन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। 38 वर्ष की शानदार सेना सेवा के बाद 1980 में वह सेवानिवृत्त हुए। वह मृदु भाषी, सकारात्मक सोच के साथ समाजसेवी थे। उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद गांव में ही अपने घर पर पुस्तकालय खोल कर ग्रामीणों के लिए पुस्तकें और समाचार पत्र पढ़ने की व्यवस्था की। इस पुस्तकालय में वे हर रविवार को हवन करवाते थे।
सामाजिक कार्यों में रहते थे आगे
कुछ समय बाद मुक सेवक चौधरी माडू सिंह मलिक के आह्वान पर उन्होंने कन्या गुरुकुल खानपुर में कई वर्षों तक प्रबंधक के रूप में अवैतनिक सेवाएं दीं। गुरुकुल में सेवाएं देने के बाद उन्होंने दिल्ली कैंट में वृद्ध पूर्व सैनिकों के लिए बने ओल्ड एज होम में वर्षों तक बिना वेतन सेवाएं दीं। धर्मपत्नी के स्वर्गवास के बाद वे अपने गांव लौट आए और अपने घर पर परिवार के साथ रहने लगे।
गांव में रहते हुए उन्होंने एक समाज सेवक के रूप में सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। गुरुकुलों और गोशालाओं में सेवा के साथ वह दान-पुण्य के कार्यों में हमेशा अग्रणी रहे। वृद्धावस्था और बीमारी की चलते पिछले एक वर्ष से वे काफी थक गए थे, इसी बीमारी की चलते 28 अगस्त रात 8 बजे उन्होंने नश्वर संसार से विदा ली। उनकी इच्छानुसार उनका अंतिम संस्कार वैदिक रीति से गांव के बाबा चमन ऋषि धाम के शमशान घाट पर किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में कारोर, गांधरा, नौनंद, खरावड़ के ग्रामीण और पूर्व सैनिक शामिल रहे।
बतौर सिग्नल मैन भारतीय सेना में शामिल हुए
पूर्व मेजर चंद्रसिंह मलिक को हरियाणा एक्स सर्विसमैन लीग की ओर से सम्मानित किया गया था। फर्स्ट वर्ल्ड वार के दौरान उन्होंने रॉयल नेवी ज्वाइन की थी। 1947 में देश के आजाद होने के बाद चंद्रसिंह मलिक बतौर सिग्नल मैन भारतीय सेना में शामिल हो गए और अपनी प्रतिभा के दम पर प्रमोशन पाते हुए मेजर के पद तक पहुंचे।