पंजाब सरकार ने आज गर्व के साथ घोषणा की है कि राज्य ने खेतों में पराली जलाने की घटनाओं को अभूतपूर्व 94% तक कम करने में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। यह सफलता भारत के लिए एक मिसाल है (94% decline in stubble pollution) और यह साबित करती है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में अपनाई गई किसान-प्रथम, विज्ञान-आधारित रणनीति कितनी प्रभावी है। जहाँ 2016 में 80,879 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए थे, वहीं 2025 में यह संख्या घटकर केवल 5,114 रह गई है, जो 2024 से 53% की कमी है।

94% decline in stubble pollution – केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पंजाब के इस मॉडल को पूरे देश में लागू करने की बात कहना, इस सफलता की महत्ता को और अधिक बल देता है। यह उपलब्धि एक सतत, विज्ञान-आधारित और किसान-प्रथम रणनीति के माध्यम से संभव हुई है, जिसने दंड के बजाय सहयोग और समाधान पर ध्यान केंद्रित किया है।

आधुनिक मशीनरी की व्यापक तैनाती और रिकॉर्ड सब्सिडी के माध्यम से सफलता मिली। पराली प्रबंधन के लिए सबसे बड़ी पहल फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) कार्यक्रम रही, जिसे 2018-19 में लॉन्च किया गया था। किसानों को लाखों की संख्या में हैप्पी सीडर्स, सुपर सीडर्स, मल्चर, एम.बी. हल और बेलर्स जैसी उन्नत मशीनें उपलब्ध कराई गईं। कृषि विभाग के निदेशक जसवंत सिंह ने बताया कि शुरुआत में मशीनें अपनाने की गति धीमी थी। हालाँकि, सरकार ने जब सुपर सीडर्स जैसी मशीनरी का वितरण बढ़ाया, तो किसानों ने इसे अपनाया। विशेष रूप से, छोटे किसानों के लिए मशीनरी खरीद पर 80% तक की भारी सब्सिडी प्रदान की गई, जो पहले 50% थी।

 

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