
छात्रा नमरा सेफी अपनी मां यास्मीन और बुआ के साथ।
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विद्यार्थियों को सफलता उनकी खुद की मेहनत से मिलती है, मगर इस कामयाबी के पीछे उनके माता-पिता का अहम योगदान होता है। अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए माहौल देते हैं और उनकी जरूरतों को पूरा करते हैं। अभिभावकों का समर्पण, अनुशासन, मेहनत भी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का काम करती है। अमर उजाला मेधावी छात्र सम्मान समारोह के दौरान आए मेधावी विद्यार्थियों ने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने अभिभावकों को दिया।
बुखार में भी बेटी को स्कूल भेजा, घर में पढ़ाई का माहौल बनाया
झज्जर की कनुज बारहवीं में साइंस की प्रदेश में टॉपर है। कनुज के पिता जोगिंदर सिंह व मां कृष्णा कुमारी स्कूल अध्यापक हैं। पिता जोगिंदर सिंह ने बताया कि मेहनत तो बच्ची ने की है। अध्यापक होने के नाते हम लोगों ने माहौल बनाया है। नर्सरी से लेकर आज तक कनुज एक भी बार अनुपस्थित नहीं रही है। बुखार होने पर दवा देकर उसे स्कूल भेजते थे। मां कृष्णा कुमारी ने बताया कि लगातार पढ़ाई के बाद बेटी का मूड बदलने के लिए वह उसे गीत सुनाती थी, ताकि बच्ची का मूड ठीक रहे। उन्होंने बताया कि बच्ची की वजह से रिश्तेदारों के घर बहुत कम जाते थे। उन्हें घर पर ही बुला लेते थे।
12वीं की छात्रा कनुज अपने पिता जोगिन्दर सिंह व परिवार के साथ।
सिलाई-कढ़ाई कर बेटी को पढ़ाया अंबाला के बलदेव नगर की नमरा सैफी ने बारहवीं में 99 फीसदी अंक पाए। नमरा अपनी मां याशमीन व बुआ निशा के साथ कार्यक्रम में पहुंची थी। उनकी मां याशमीन ने बताया कि घर का खर्च चलाने के लिए वह सिलाई-कढ़ाई का काम करती हैं। उनकी तीन बेटियां और एक बेटा। सभी को अपने खर्चें पर ही पढ़ा रही हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों की मेहनत से उन्हें खुद प्रेरणा मिलती है। बुआ निशा ने बताया कि नमरा एग्जाम के दिनों में पढ़ाई के साथ घर का काम भी करती रही है। उसे अपनी जिम्मेदारियों का पता है। आज सम्मान पाकर हम सभी बहुत खुश हैं।