भारत का दूसरा चंद्र मिशन- चंद्रयान 2, 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च हो चुका है| इसरो के अध्यक्ष के. सिवान ने बताया कि इस अंतरिक्ष यान को चन्द्रमा की सतह पर पहुँचने में डेढ़ महीने का समय लगेगा| यह यान 7 सितम्बर को चाँद की सतह पर उतरने से पहले 15 कठिन राहों से होकर गुज़रेगा|

यह अंतरिक्ष यान पहले 25 दिन में अधिकतम दांव खेलेगा| इस दौरान यह तेज़ी से पृथ्वी की ओर अपनी कक्षा को बढ़ाएगा| चन्द्रमा की तरफ भी बढ़ने के लिए अपनी ताकत में वृद्धि लाएगा| लगभग 48 दिन के इस मिशन में चन्द्रमा के बारे में महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्यों की जानकारी हासिल की जाएगी|

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मिशन चंद्रयान 2 के कुछ मुख्य चरण :-

22 जुलाई से 13 अगस्त :- सोमवार को लॉन्च के बाद चंद्रयान 2 एक कक्षा में था| जो कि अपने सबसे करीबी, पृथ्वी से 170 किलोमीटर की दूरी पर था| अगले 20 दिनों में यह कम से कम 5 कक्षाओं में अपना युद्धाभ्यास बढ़ाता हुआ गुज़रेगा|

13 अगस्त :- यह धरती की कक्षा को छोड़ता हुआ चन्द्रमा की कक्षा की ओर 7 दिन का सफर शुरू करेगा|

20 अगस्त :- चन्द्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा| उसके बाद 100 किलोमीटर की दूरी से चन्द्रमा की परिक्रमा शुरू करेगा|

2 सितम्बर :- ऑर्बिटर से अलग होंगे लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर| अपने आप को चन्द्रमा की कक्षा के करीब ले जाकर चक्कर लगाना जारी रखेंगे|

7 सितम्बर :- विक्रम चन्द्रमा की सतह पर उतरेगा| इसे लैंड करने में 10 से 20 मिनट का समय लग सकता है| यह इस बात पर भी निर्भर करेगा की कितनी देर में विक्रम उपयुक्त लैंडिंग स्थान हासिल कर पाता है| इसे दिशा दिखाने के लिए इसपर कैमरा लगाए गए हैं| यह यान को खड्डों में उतरने से भी बचाएगा| उसी दिन प्रज्ञान विक्रम से अलग होगा और 1 सेमी प्रति सेकंड की धीमी गति से चंद्र की सतह पर घूमना शुरू कर देगा|

प्रज्ञान रोवर और लैंडर विक्रम 14 दिन तक काम करेंगे जबकि ऑर्बिटर का काम 1 साल तक का होगा|

चंद्रयान 2 चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा| वहाँ उतरते ही भारत यह कारनामा करने वाला पहला देश बन जाएगा|

पानी की खोज रहेगा भारत का मुख्य उद्देश्य

चंद्रयान 1 ने चाँद पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया था| चंद्रयान 2 का मुख्य लक्ष्य भी चन्द्रमा पर पानी की खोज करने का होगा| यान में मौजूद 14 में से 3 उपकरण पानी के होने का पता लगाने का ही काम करेंगे|

दो कैमरा-आधारित उपकरण और एक सिंथेटिक एपर्चर रडार विभिन्न प्रकार के उच्च-रिज़ॉल्यूशन के चंद्र नक्शे तैयार करेंगे| कम से कम चार उपकरण चंद्र सतह की संरचना का अध्ययन करेंगे| वहां मौजूद विभिन्न खनिजों और तत्वों का पता लगाने की कोशिश करेंगे|

सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि देश भर की नज़रें 7 सितम्बर पर टिकी हैं| जब विक्रम कुशलतापूर्वक चाँद की सतह पर लैंड करेगा| इससे चन्द्रमा के बारे विशेष जानकारियां हासिल हो सकेंगी| जो सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी मानव जाति के लिए उपयोगी होंगी|

Image Source : Google

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