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    Home » कर्ण कोट टीला:महाभारतकालीन ग्रेवियार्ड ऑब्जेक्ट मिला, बर्तनों को बनाने के लिए प्रयोग होता था चक्राकार पत्थर – Mahabharata Period Gravyard Object Found In Historical Karna Kot Tila

    कर्ण कोट टीला:महाभारतकालीन ग्रेवियार्ड ऑब्जेक्ट मिला, बर्तनों को बनाने के लिए प्रयोग होता था चक्राकार पत्थर – Mahabharata Period Gravyard Object Found In Historical Karna Kot Tila

    August 2, 2023 हरियाणा 3 Mins Read
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    Mahabharata period gravyard object found in historical Karna Kot Tila

    फतेहाबाद के कर्णकोट टीले से मिला ग्रेवियार्ड ऑब्जेक्ट।
    –


    हरियाणा के फतेहाबाद जिले के भूना के गांव भट्टू के ऐतिहासिक कर्ण कोट टीले से महाभारतकालीन ग्रेवियार्ड ऑब्जेक्ट मिला है। इस ऑब्जेक्ट से उस दौर में मिट्टी के बर्तनों व कपों को तराशा जाता था। यह पत्थर देखने में चीनी मिट्टी का बना हुआ है और शताब्दी बाद भी यह पत्थर का टुकड़ा अभी भी सुरक्षित है। हाल ही में हुई बारिश के बाद यह पत्थर का टुकड़ा मिट्टी से उभरकर सामने आया तो इस गांव के शोधकर्ता अजय ने इसे अपने पास रख लिया और इसकी जानकारी पुरातत्व विभाग को दी।

    हरियाणा में महाभारत काल के कर्णकोट टीले से वर्षा ऋतु में मिट्टी बहने से ऐतिहासिक महत्व की वस्तुएं प्राप्त हुई हैं, जो निरंतर जारी हैं। यहां विभाग की तरफ से एक सिक्योरिटी गार्ड रखा गया है, जो निगरानी करता है। हाल ही में हुई बारिश के दौरान इस टीले से ग्रेवियार्ड ऑब्जेक्ट मिला है।

    अवशेष जो मिला है, वो महाभारत काल के समय बर्तन बनाने के लिए प्रयोग होने वाले पदार्थ का एक चक्र है, जिसको ग्रेवियार्ड कहते हैं। ये चीनी मिट्टी की तरह का एक पदार्थ है जो बहुत शानदार चमक और मजबूती रखता है। इस ग्रेवियार्ड से महाभारत कालीन समय में बर्तन व कपों के सांचे तैयार किए जाते थे।

    इस टीले के शोधकर्ता व सेफ्टी इंजीनियर अजय कुमार ने बताया कि यह ग्रेवियार्ड अपने आप में अद्भुत है और महाभारत कालीन समय की उस बर्तन निर्माण पद्धति का परिचायक है, जिससे बर्तनों का निर्माण होता था। 

    हड़प्पा काल की मिट्टी की टेराकोटा चूड़ियां भी मिलीं

    इसी टीले से मिट्टी की टेराकोटा की चूड़ी जो हड़प्पा सभ्यता के समय की है और साथ ही हाथी दांत से बनी चूड़ी के टुकड़े मिले हैं। इसके अलावा यहां पर हाथी दांत की चूड़ियों के अवशेष भी मिले हैं। यहां पर हड़प्पा काल के शतरंज के पासे भी मिले हैं।

    महाभारत काल से लेकर एंग्लो सिख युद्ध तक का इतिहास

    टोहाना हलके में स्थित भट्टू गांव अपने आप में इतिहास को संजोए हुए हैं। यहां पर महाभारत काल से लेकर एंग्लो-सिख युद्ध तक के प्रमाण मिल चुके हैं। जिसमें मराठा सिख और फ्रांसीसी सेनाओं की ब्रिटिश सेना से लड़ाई हुई थी और नेपोलियन बोनापार्ट की सेना में तोपची रहे लेफ्टिनेंट हैलिसन सिख सेनाओं के साथ यहां तैनात रहे थे। ये स्थल कितने ऐतिहासिक युद्धों का साक्षी रहा है और इन इन युद्धों में प्रयुक्त हथियार आज भी यहां से प्रतिदिन निकलते हैं जिसमें तलवारें तोपों के गोले और घुड़सवारों के अवशेष प्रमुख हैं।

    कर्णकोट टीला अपने आप में ऐतिहासिक महत्व से जुड़ा हुआ है। इस टीले से महाभारत काल के अवशेष तो मिलते ही रहते हैं, साथ ही हड़प्पा संस्कृति व एंग्लो-सिख युद्ध के प्रमाण भी यहां पर मिले हैं। हाल ही में यहां पर महाभारत कालीन ग्रेवियार्ड ऑब्जेक्ट मिला है, जो महाभारत काल में बर्तनों को बनाने के लिए प्रयोग होता था। -अजय कुमार, शोधकर्ता एवं सेफ्टी इंजीनियर।

    कर्णकोट टीले में जल्द ही खुदाई का काम किया जाएगा। यहां पर महाभारत काल से लेकर हड़प्पा संस्कृति के अवशेष मिले हैं। इस टीले को पुरातत्व विभाग ने अपने संरक्षण में ले रखा है और यहां पर गार्ड को भी नियुक्त किया गया है। जो ऑब्जेक्ट यहां से मिल रहे हैं, उससे साफ है कि इस टीले में इतिहास के कई पहलू जुड़े हुए हैं। -बुनानी भट्टाचार्य, उप निदेशक, पुरातत्व विभाग, चंडीगढ़।

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