
रोहतक पीजीआई का मानसिक स्वास्थ्य संस्थान
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विस्तार
आज के दौर में अधिकांश युवा तनाव और बुजुर्ग अकेलेपन की समस्या से जूझ रहे हैं। पीजीआईएमएस के न्यूरोलॉजी विभाग से डॉक्टर ऑफ मेडिसिन की पढ़ाई करने वाले डॉ. बीरभान के शोध पत्र में यह खुलासा हुआ है। डॉ. सुरेखा डाबड़ा की देखरेख में डॉ. हितेष खुराना के सहयोग से इसके तहत 45 डिमेंशिया पीड़ितों पर अध्ययन किया गया। इसमें उनके बचपन से वृद्धावस्था या अल्जाइमर पीड़ित होने तक के जीवन का समझने का प्रयास किया गया। प्रतिस्पर्धा के दौर में व्यायाम से दूरी, प्रदूषण व फास्ट फूड का सेवन भी इस बीमारी की वजह है। 60 के बाद की उम्र में होने वाली यह बीमारी 45 से 50 की उम्र में ही घेरने लगी है।
आमतौर सब भूल जाता है अल्जाइमर पीड़ित
अल्जाइमर एक दिमागी बीमारी है। इसमें मरीज की याददाश्त कमजोर हो जाती है। आमतौर पर पीड़ित बस भूल जाता है। उसे अपना वर्तमान याद नहीं रहता है। उसके दिमाग व यादों में बचपन व युवा अवस्था की बातें ही शेष रहती हैं। महिलाओं में यह समस्या ज्यादा रहती है। इसकी वजह महिलाओं की उम्र (बॉयोलॉजिकल) पुरुषों से अधिक होना है। इसके अलावा बीपी, शुगर, थायराइड पीड़ितों में अल्जाइमर की संभावना अधिक रहती है। समय पर जांच करा कर इस बीमारी से बचाव संभव है।
केस-1
शहर की एक कॉलोनी से 47 वर्षीय व्यक्ति पीजीआईएमएस में न्यूरो संबंधी बीमारी का इलाज कराने आया। यहां चिकित्सकों ने उसे जेरियेट्रिक यानी मानसिक स्वास्थ्य यूनिट में जांच के लिए भेजा। यहां पता लगा कि वह अल्जाइमर पीड़ित है। परिवार उसे उम्र के सामान्य लक्षण मान रहा था। वह छोटी-छोटी बातें भूलने के साथ अपनों को पहचानने में असमर्थ था। संस्थान के सही विभाग में पहुंचे इस मरीज का इलाज किया जा रहा है।
केस-2
चिकित्सक ने बताया कि ओपीडी में शहर के एक सेक्टर से परिवार आया। इन्होंने अपने बुजुर्ग के कपड़े नहीं पहनने, चारपाई पर भी शोर करने की समस्या रखी। परिवार का कहना था कि अजीब बातें करते हैं। डरते रहते हैं। कहते हैं, बैंक से पैसा निकल जाएगा। कोई उन्हें पकड़कर ले जाएगा। वह घर लोगों तक को नहीं पहचान पाते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए जांच की तो बुजुर्ग अल्जाइमर पीड़ित मिला। इसलिए दवाओं के जरिए इलाज किया जा रहा है।
आराम की स्थिति में चला जाता है निष्क्रिय दिमाग
वहीं, बदलती जीवन शैली ने शरीर को लगभग निष्क्रिय कर दिया है। इससे दिमाग को काम करने का संकेत नहीं मिलता है। नतीजतन दिमाग आराम करने की स्थिति में चला जाता है। ऐसे में दिमाग की ग्रोथ रुक जाती है। धीरे-धीरे व्यक्ति बातें यहां तक की कपड़े पहनने या शौच जाने के जरूरी काम तक भूलने लगता है। स्थिति यह बनती है कि पीड़ित किसी तरह का फैसला नहीं ले पाता है।
संस्थान में रोज आ रही तीन अल्जाइमर पीड़ित
पीजीआईएमएस के राज्य मानसिक स्वास्थ्य संस्थान की जेरियेट्रिक यूनिट में रोजाना ऐसे औसतन तीन केस आ रहे हैं। दुनिया में अल्जाइमर पीड़ितों का प्रतिशत पांच प्रतिशत है। ऐसे में हमारे जनसंख्या बाहुल्य देश में अल्जाइमर मरीजों बड़ी संख्या में होना स्वाभाविक है।
अधिकारी के अनुसार
अल्जाइमर दिमागी बीमारी है। यह 60 से अधिक उम्र के लोगों में होता है। बदलती जीवनशैली नई पीढ़ी को भी इस बीमारी से ग्रसित करने लगी है। इसमें 45 से 50 की उम्र के लोग प्रभावित होने लगे हैं। इससे बचाव संभव है। हम सैर करने, छोटे-छोटे कामों के लिए वाहन के बजाय पैदल चलने या साइकिल का प्रयोग करें। बुजुर्गों को अकेलापन महसूस न होने दें। उनके साथ रहें। उनसे बातचीत करें। -डॉ. हितेष खुराना, प्रभारी, मानसिक स्वास्थ्य यूनिट, मानसिक स्वास्थ्य संस्थान।