ऑपरेशन सिंदूर, टैरिफ के बाद अब चीन के मुद्दे पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पार्टी से उलट राय रखी है. थरूर ने कहा कि पीएम मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत संतुलन बहाल करने की दिशा में एक आवश्यक कदम है. उन्होंने उम्मीद जताई सरकार अपने रुख पर कायम रहेगी. थरूर से पहले कांग्रेस ने (Congress played on the frontfoot ) इस मुद्दे पर सरकार को घेरा था.

कांग्रेस के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीजिंग के सामने झुकने और पाकिस्तान-चीन ‘जुगलबंदी’ पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया था. कांग्रेस के ही दिग्गज नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने भी इसपर सरकार को आगाह किया. मनीष तिवारी ने कहा कि चीन पर अत्यधिक निर्भरता अपनी ही कीमत पर आती है.

कांग्रेस जहां चीन के मुद्दे पर सरकार को घेर रही है. वहीं, विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष थरूर ने कहा कि शी जिनपिंग के साथ मोदी की बातचीत पिछले साल के अंत में शुरू हुई मधुरता की अगली कड़ी लगती हैकांग्रेस सांसद ने कहा कि ट्रंप ने जो किया है, उसके बाद यह और भी जरूरी हो गया है.

थरूर विदेश मामलों में खासतौर से पार्टी से अलग बयान देते हैं. जानकार इसकी वजह उनका महत्वाकांक्षी होना बताते हैं. थरूर विदेश मामलों के एक्सपर्ट रहे हैं. वह संयुक्त राष्ट्र में रह चुके हैं. बताया जाता है कि सलमान खुर्शीद को विदेश मामलों के विभाग का प्रमुख बनाए जाने से थरूर नाराज हैं.

Congress played on the frontfoot – थरूर केरल से आते हैं. 2026 में वहां पर चुनाव है. सीएम पद पर उनकी पहले से नजर रही है. कहा जाता है अगर इस बार पार्टी उनको सीएम फेस नहीं बनाई तो वह अलग राह चुन सकते हैं. बीजेपी उनको दोनों हाथों से लपक भी लेगी, क्योंकि उसको केरल में बड़ा चेहरा चाहिए.

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