यूपी: यूपी में विधानसभा चुनाव होने में अभी लगभग 1 साल से ज्यादा का वक्त बाकी है लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात अभी से बिछाई जाने लगी है। सपा से लेकर बसपा और कांग्रेस सूबे की सत्ता में वापसी की कोशिशों में जुटे हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी यूपी में मुस्लिम-ओबीसी समीकरण बनाने की कवायद में जुट गए हैं। वहीं कल आम आदमी पार्टी ने भी यूपी के सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर यूपी में आगामी चुनाव की सरगर्मी बढा दी है। लेकिन किसी भी पार्टी के लिए यूपी की राह आसान नहीं होने वाली ।

आपको बता दें यूपी में किसी भी पार्टी की सत्ता की चाबी पूर्वांचल से ही होकर निकलती है। जिसके पास पूर्वांचल में अधिक सीटें आई, वही यहां की सत्ता पर काबिज होता है। पूर्वांचल में अभी कुल 28 जिले आते हैं। इन 28 जिलों में 162 विधानसभा सीट है। जिसमें 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 115 सीटों पर कब्जा जमाया था। इससे पहले 1991 में राममंदिर लहर के बीच भाजपा पूर्वांचल में 152 में से 82 सीटें लेकर आई थी। लेकिन उसके बाद साल दर साल लगातार भाजपा का प्रदर्शन कमजोर होता गया। 2017 में फिर एक बार फिर भाजपा मोदी लहर के बीच 115 सीटों पर काबिज हो गई. लेकिन आज भी पूर्वांचल के 28 जिलों में 10 जिलों में भाजपा कमजोर है। वहीं, इस बार औवेसी की एंटरी भी भाजपा के समीकरण बिगाड़ सकती है।

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यूपी सत्ता नहीं आसान: अब सवाल यह है कि चार साल बीत जाने के बाद आखिरकार योगी सरकार पूर्वांचल को लेकर परेशान क्यों है? जानकारों का मानना है कि 28 जिलों में शामिल 10 जिलों में भाजपा अभी भी कमजोर है। जबकि समाजवादी पार्टी का दबदबा बना हुआ है। कुछ जिले ऐसे हैं जहां 2017 में भाजपा ने बढ़त बनायी है। लेकिन 2022 चुनावों में यह बढ़त बनी रहे इस बात पर आशंका है ।

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