लुधियाना: सैंट्रल बोर्ड ऑफ सैकेंडरी एजुकेशन (सी.बी.एस.ई.) 2026-27 शैक्षणिक सत्र से 9वीं कक्षा के छात्रों के लिए ओपन-बुक एग्जाम (ओ.बी.ए.) की शुरुआत (the big change of CBSE) करने जा रहा है।

the big change of CBSE – 2018 में बंद की गई इस स्कीम के फिर शुरू होने से प्रत्येक टर्म में 3 पेन-एंड-पेपर परीक्षाएं होंगी जिनके उत्तर छात्र किताबों, नोट्स और अन्य स्वीकृत संसाधनों की मदद से लिख सकेंगे। हिंदी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे मुख्य विषयों को इसमें शामिल किया जाएगा। बता दें पहले भी 9वीं और 11वीं के छात्रों के लिए यह स्कीम 2014 सैशन में शुरू की गई थी लेकिन बाद में इसकी आलोचना होने के बाद 2018 से इसे बंद कर दिया गया था।

टीचर्स की सिफारिश
जानकारी के मुताबिक यह बदलाव नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एजुकेशन (एन.सी.एफ.एस.ई.) 2023 के अनुरूप है जो नई शिक्षा नीति (एन.ई.पी.) 2020 पर आधारित है। एन.सी.एफ.एस.ई. का उद्देश्य छात्रों को रटने की आदत से दूर करके उन्हें वास्तविक परिस्थितियों में ज्ञान का उपयोग करने के लिए सक्षम बनाना है। सी.बी.एस.ई. द्वारा की गई एक स्टडी में पाया गया कि स्कूलों के कई शिक्षक भी ओपन-बुक एग्जाम के पक्ष में हैं। उनका मानना है कि इससे छात्रों की क्रिटिकल थिंकिंग, विश्लेषणात्मक क्षमता और समस्या समाधान कौशल में वृद्धि होगी।

पायलट स्टडी में यह आया सामने
बताया जा रहा है कि सी.बी.एस.ई. ने ओपन-बुक एग्जाम पर एक पायलट स्टडी शुरू की थी जिसमें यह आकलन किया गया कि इस सिस्टम में छात्रों को कितना समय लगता है और वे संसाधनों का किस तरह इस्तेमाल करते हैं। स्टडी में यह सामने आया कि शुरुआत में छात्रों को किताब या नोट्स जैसे संसाधनों का प्रभावी उपयोग करने में कठिनाई हुई लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इसे अपनाना शुरू कर दिया। वहीं शिक्षकों का मानना था कि यह सिस्टम छात्रों को विषय को गहराई से समझने के लिए प्रेरित करेगा।

 

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