केंद्रीय मंत्री और भाजपा के नेता ज्योतिरादिय सिंधिया ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की एक टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा और कहा कि पहले उन्हें इतिहास पढ़ना चाहिए और (Pawan Kheda Reminded Scindia) फिर राजघरानों के बारे में बयान बाजी करनी चाहिए। इस पर कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने सिंधिया पर पलटवार करते हुए झांसी की रानी की वीरता से संबंधित एक मशहूर कविता के एक अंश का उल्लेख करते हुए उन पर पलटवार किया और कहा कि इतिहास सिंधिया राजघराने की तरफ उंगली उठाकर रोता है।
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दरअसल, राहुल गांधी ने सोमवार को मध्य प्रदेश के महू में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि आजादी से पहले दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को कोई अधिकार नहीं था, उस समय “केवल महाराजाओं और राजाओं को ही अधिकार प्राप्त थे।” राहुल गांधी के इस बयान पर सिंधिया ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा, “संविधान को अपनी ‘पॉकेट डायरी’ समझने वाले नेता राहुल गांधी द्वारा आजादी से पूर्व भारत के राजपरिवारों की भूमिका को लेकर दिया गया बयान उनकी संकीर्ण सोच व समझ को उजागर करता है। सत्ता और कुर्सी की भूख में वह भूल गए हैं कि इन राजपरिवारों ने वर्षों पहले भारत में समानता और समावेशी विकास की नींव रखी थी। “
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने सिंधिया पर पलटवार करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “इतिहास आपकी ओर अंगुली उठाकर रोता है योर हाइनेस। अगर संविधान का 26 वां संशोधन ना हुआ होता तो आज भी भारत सरकार की तरफ़ से ग्वालियर राजघराने को करोड़ों रुपये कर मुक्त दिए जा रहे होते (सन 1950 में 25,00,000) ।” उन्होंने दावा किया, “भारत में विलय की यह क़ीमत लेते रहे आप, सन 71 तक। राजघरानों की गद्दारी, उनका अंग्रेज़ों से प्रेम आप शायद भूल गए, हम सब नहीं भूल पाते।” उन्होंने कहा, इतिहास गवाह हैं कि एक राजघराने की पिस्तौल का इस्तेमाल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या में हुआ था।
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Pawan Kheda Reminded Scindia – खेड़ा का कहना था, “अनेक राजघरानों के कुकर्मों की फेहरिस्त को चंद राजाओं की नेकी से नहीं ढ़ंका जा सकता। नेहरू और पटेल द्वारा राजे-रजवाड़ों पर दबाव बना कर लोकतंत्र की लगाम आम नागरिकों को सौंपे जाने की टीस अब तक कुछ राजपरिवारों में बाकी है।” उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू के एक कथन का हवाला दिया और कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की रचना का उल्लेख करते हुए सिंधिया पर तंज कसा। खेड़ा ने कहा, “आज फिर सुभद्रा कुमारी चौहान की यह पंक्तियां आपको याद दिला दूं: ‘‘अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,” बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी। ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।”