कर्नाटक के बेंगलुरु में आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि औरंगजेब ने जो किया इसके लिए उसको आइकॉन नहीं मानना चाहिए. दिल्ली में एक औरंगजेब रोड थी, जिसका (RSS on Aurangzeb controversy) नाम बदलकर अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया. इसके पीछे कुछ कारण थे. औरंगजेब के भाई दारा शिकोह को हीरो नहीं बनाया गया.गंगा-जमुनी तहजीब की वकालत करने वालों ने कभी दारा शिकोह को आगे लाने के बारे में नहीं सोचाय. क्या हम किसी ऐसे व्यक्ति को आइकॉन बनाएंगे जो भारत की संस्कृति के खिलाफ था, या हम उन लोगों के साथ जाएंगे जिन्होंने इस भूमि की परंपराओं के अनुसार काम किया?

 RSS on Aurangzeb controversy – उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता की लड़ाई सिर्फ अंग्रेजों से नहीं लड़ी गई, शिवाजी और महाराणा प्रताप ने भी मुगलों से स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी थी. वो भी स्वतंत्रता संग्राम था. देश के लोगों को तय करना है की उनको अपना आइकॉन औरंगजेब को मानते हैं या दारा शिकोह को?

भारत में किसे बनाना है आइकॉन?

दत्तात्रेय ने कहा कि भारत के लोगों को तय करना होगा कि वो भारत के इतिहास के विरुद्ध चले व्यक्ति को अपना आइकॉन बनाएंगे, या फिर देश संस्कृति, परंपरा और मिट्टी के साथ जो लोग रहे हैं उन्हें अपना आइकॉन बनाएंगे. इसलिए असल मुद्दा ये है और औरंगजेब इसमें फिट नहीं बैठते हैं. औरंगजेब के भाई दाराशिकोह इस आइकॉन में फिट बैठते हैं. उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र देश को ये गंभीरता से सोचना होगा कि हमें स्वतंत्रता कैसे मिली थी? अंग्रेजों से पहले आए आक्रांताओं से देश के वीर सपूतों ने लड़ाई लड़ी है.

कब्र को लेकर विवाद

महाराष्ट्र में मुगल शासक औरंगजेब को लेकर सियासत गरमाई हुई है. छत्रपति संभाजीनगर जो कि पहले औरंगाबाद नाम से जाना जाता था वहां पर औरंगजेब की कब्र है. इस कब्र को लेकर विवाद नहीं रुक रहा है. राज्य में इस मुद्दे पर सियासी घमासान होने के बाद अब पूरा मामला बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंच गया है. हाई कोर्ट में भी इसको लेकर याचिका दाखिल की गई है. अदालत से औरंगजेब की कब्र को राष्ट्रीय स्मारकों की लिस्ट से हटाने का निर्देश देने की मांग की है.

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