पूर्व सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव निरुपमा रॉय और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार टी.के.ए. नैय्यर समेत 104 IAS अफसरों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिख कर कहा है कि “राज्य नफरत, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बन गया है।”

इन पर पूर्व वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारीयों ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार के मुखिया से कहा है कि, “कथित लव जिहाद को रोकने के लिए बने अध्यादेश की वजह से गंगा-जमुनी तहजीब के लिए मशहूर प्रदेश में प्रशासनिक संस्थाएं भी सांप्रदायिकता के जहर में डूबी हुई हैं।”

योगी सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिशेध अध्यादेश 2020’ 28 नवंबर को जारी किया। इसे ही ‘लव जिहाद’ अध्यादेश कहा गया।

क्या है अध्यादेश में???


अध्यादेश में यह प्रावधान है कि किसी भी व्यक्ति को धर्म बदलने से कम से कम दो माह पूर्व ही स्थानीय प्रशासन को इसकी लिखित जानकारी देनी होगी। इसमें अध्यादेश में यह प्रावधान भी लाया गया है कि विवाह के मकसद से बदला गया धर्म गैर-क़ानूनी माना जाएगा, और इसके लिए दंड का भी प्रावधान है।

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इस अध्यादेश के लागू होने के बाद, अब तक ऐसे 14 मामले पाए गए हैं, जिनमें 51 लोगों की गिरफ्तारी हुई और 49 लोगों को जेल भी भेज दिया गया है। लेकिन इन सभी में किसी महिला की शिकायत पर पुलिस के हरकत में आने के केवल 2 ही मामले हैं। बाकी मामलों में महिला के परिवार वाले या अन्य की शिकायत पर पुलिस ने कार्यवाई की है।

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इन पूर्व अफसरशाहों ने इस अध्यादेश को गैर-क़ानूनी बताते हुए, वापिस लेने की माँग की है।
चिट्ठी में लिखा गया कि, ‘आपके प्रशासन ने कईं युवाओं पर जघन्य अत्याचार किए हैं, ये लोग सिर्फ इस देश के आजाद नागरिक के रूप में अपने मनपसंद व्यक्ति के साथ रहना चाहते हैं।’

इन अफसरों ने मुख्यमंत्री से यह भी कहा कि, “आप लोगों को अपने आप को उस संविधान के बारे में फिर से शिक्षित करना चाहिए आपने जिसकी शपथ ली है।”

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