जबलपुर : एमपी हाई कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा पत्नी को 4000 रुपए गुजारा भत्ता देने के आदेश को बरकरार रखते हुए एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि ‘’पत्नी का शारीरिक संबंधों के बिना दूसरे पुरुष से प्रेम करना व्यभिचार (Adultery) नहीं है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी साथ हो या न हो, विवाहित हो (without making physical relations not adultery) तो गुजारा भत्ता देना होगा।” कोर्ट ने यह टिप्पणी एक याचिका को लेकर की है जिसमें पति ने अपनी कम सैलरी का हवाला देते हुए गुजारा भत्ता न दे पाने की याचिका लगाई थी। पति ने पत्नी पर किसी दूसरे पुरुष से बात करने और संबंध होने के आरोप भी लगाए थे।
दरअसल, छिंदवाड़ा से एक पति पत्नी ने आपसी विवाद के बाद कोर्ट की शरण ली थी। पति के खिलाफ दो जिला न्यायालय ने मेंटेनेंस का ऑर्डर दिया था। इटारसी कोर्ट के ऑर्डर के तहत पति अपनी पत्नी को 4 हजार रुपए प्रति माह गुजारा भत्ता दे रहा था। इसी ऑर्डर को रिपिट करते हुए छिंदवाड़ा कोर्ट ने भी गुजारा भत्ता देने की बात कही। इसके बाद पति ने एमपी हाईकोर्ट में याचिका लगाई।
याचिका में पति ने दलील दी कि शादी के बाद से उसकी पत्नी उसके साथ नहीं रहती और ससुराल छोड़कर माइके रहती है। साथ ही आरोप लगाया कि उसकी पत्नी दूसरे पुरुष से बात करती है और उनके संबंध हैं। तीसरी दलील दी कि वह प्राइवेट काम करता है और उसकी सैलरी कम है वहीं उसके परिजन भी उसे संपति से बेदखल कर चुके हैं। लेकिन कोर्ट ने किसी भी तरह की दलील मानने से इंकार कर दिया।
without making physical relations not adultery – याचिकाकर्ता के वकील विट्ठल राव जुमड़े ने बताया कि याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा कि “महिला का किसी अन्य पुरुष के प्रति प्रेम और स्नेह व्यभिचार नहीं माना जाएगा जब तक कि वह उस व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध में न हो। हाईकोर्ट ने पति की अल्प आय की दलील को भी खारिज कर दिया।”
कोर्ट ने माना कि पत्नी साथ हो या न हो, विवाहिता हो तो गुजारा भत्ता देना होगा। कोर्ट ने कहा कि पति की अल्प आय की दलील गुजारा भत्ता देने से इनकार करने का मापदण्ड नहीं है और निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए पत्नी को गुजारा भत्ता देना ही होगा।