दिल्ली की सत्ता गंवाने के बाद अब आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार पर सियासी घमासान मचा है. कांग्रेस के टूट के दावे के बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पंजाब के (leaving delhi immediately called the meeting) मुख्यमंत्री भगवंत मान, सरकार के मंत्री और विधायकों के साथ आप के आलाकमान ने बैठक की है.
अरविंद केजरीवाल ने बैठक में आप विधायकों से बात की. बातचीत में केजरीवाल ने विधायकों को क्या कहा, इसका खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन जिस तरीके से बैठक आनन-फानन में बुलाई गई है, उसकी चर्चा जरूर हो रही है.
आप को कौन सा डर सता रहा है?
1. हाईकमान को कमजोर न आंके- अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी हाईकमान के और भी नेता चंडीगढ़ जाकर बैठक कर सकते थे, लेकिन नेताओं ने मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों के साथ सभी विधायकों को दिल्ली बुला लिया. दरअसल, दिल्ली के चुनाव में आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया समेत कई बड़े नेता हार गए.
leaving delhi immediately called the meeting – पार्टी की हार के साथ-साथ इन बड़े नेताओं की हार ने हाईकमान को कमजोर कर दिया है. हाईकमान के कमजोर होने की स्थिति में मामला और ज्यादा न बिगड़े, इसलिए अरविंद केजरीवाल ने परिणाम के तुरंत बाद पंजाब के नेताओं को बुला लिया. आप हाईकमान पंजाब के नेताओं यह संदेश नहीं देना चाहते हैं कि वे कमजोर स्थिति में हैं और फैसला नहीं कर पाएंगे.
2. एंटी इनकंबेंसी खत्म करने की कोशिश- दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार की बड़ी वजह विधायक और नेताओं के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का होना है. आप ने दिल्ली चुनाव में बड़ी संख्या में अपने विधायकों के टिकट काटे. इसके बावजूद पार्टी सत्ता में नहीं आ पाई. इतना ही नहीं, जिन विधायकों के टिकट कटे, उनमें से एक-दो को छोड़कर बाकी के सभी बीजेपी में शिफ्ट हो गए.
पंजाब में भी कई मुद्दों पर विधायकों में नाराजगी है. विधानसभा चुनाव में एकतरफा जीत दर्ज करने वाली आप लोकसभा चुनाव 2024 में सिर्फ 3 सीटें ही जीत पाई. दिसंबर 2024 में पंजाब में निकाय के चुनाव हुए थे, जहां पर 5 में से सिर्फ 3 निगम के चुनाव में आप ने जीत हासिल की. 2 पर कांग्रेस को जीत मिली थी.
आम तौर पर निकाय चुनाव में उसी पार्टी को जीत मिलती है, जो राज्य की सत्ता में होती है.
3. कांग्रेस और बीजेपी के गठजोड़ का डर- दिल्ली में आम आदमी पार्टी को हराने में कांग्रेस ने बड़ी भूमिका निभाई. कांग्रेस को 19 सीटों पर जितने वोट मिले, उससे कम मार्जिन से आम आदमी पार्टी दिल्ली में हार गई. इन 19 में अरविंद केजरीवाल की नई दिल्ली और मनीष सिसोदिया की जंगपुरा सीट भी शामिल है. कांग्रेस के वोट काटने का सीधा फायदा बीजेपी को हुआ.
अब आम आदमी पार्टी को पंजाब में यही डर सता रहा है. आप को लग रहा है कि बीजेपी पंजाब में उसका वोट काट सकती है, जिसका फायदा कांग्रेस को न मिल जाए. पंजाब में कांग्रेस आप के साथ सीधे मुकाबले में है.
दूसरी तरफ बीजेपी के पास शहरी सीटों पर मजबूत जनाधार है. 2020 के चुनाव में पंजाब में बीजेपी को 6.6 प्रतिशत वोट मिले थे. इस चुनाव में आप को 42 और कांग्रेस को 23 प्रतिशत वोट मिले थे.
आम आदमी पार्टी के लिए पंजाब क्यों अहम?
पंजाब पहला पूर्ण राज्य है, जहां आम आदमी पार्टी 2022 में सत्ता में आई. 2013 में आप दिल्ली की सत्ता में आई थी, लेकिन दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल नहीं है. पंजाब में जीत के बाद आप के बड़े नेताओं को जहां व्यापक सुरक्षा मिली, वहीं पार्टी के विस्तार नीति को भी बल मिला.
पंजाब की सरकार में आने के बाद आप के राज्यसभा सांसदों की संख्या 3 से बढ़कर 10 हो गई. इसी तरह पंजाब जीत के बाद ही आप गुजरात में पूरी मजबूती से मैदान में उतरी. गुजरात में बढ़िया प्रदर्शन के बाद ही आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त हुआ.
2027 में पंजाब में विधानसभा के चुनाव होने हैं. दिल्ली की तरह अगर वहां परिणाम आते हैं तो आप के लिए आगे की राह आसान नहीं होने वाली है.