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विघ्नहर्ता का महापर्व गणेश चतुर्थी

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विघ्नहर्ता का महापर्व गणेश चतुर्थी

भारत एक हिन्दू देश है परन्तु भारतीय भूमि कई अन्य धर्मों की संरक्षक भी रही है| विभिन्न धर्मों, त्यौहारों, तौर-तरीकों के बावजूद जो एकता यहाँ दिखती है वो विश्व के किसी कोने में नहीं दिखती| भारत के त्यौहार विश्विख्यात है क्योंकि लोग जिस श्रद्धा भाव के साथ इसे मनाते है वह अतुलनीय है| यहाँ के त्यौहारों में से एक त्यौहार है गणपति महोत्सव|

गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी या विनायक चौथ के नाम से भी जाना जाता है| हिन्दू मान्यता के अनुसार यह दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी का अवतरण दिवस है| गणेश चतुर्थी का त्यौहार हमेशा अगस्त व सितंबर के मास में आता है| यह दस दिनों तक रहता है, गणेश उत्सव के आखिरी दिन उनको विसर्जित किया जाता है|

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हिंदू पंचांग के अनुसार यह त्यौहार भाद्र मास में यानी सावन के बाद के मास में मनाया जाता है, यह त्यौहार गणेश चतुर्थी से शुरु होकर अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है| यह नेपाल, मॉरीशस, इंडोनेशिया जैसे अन्य कई देशो में भी मनाया जाता है| भारत में महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, गोवा, केरल, तमिलनाडु आदि प्रदेशो में भी बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है|

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इस त्यौहार के दौरान हर तरफ सिर्फ गणपति बप्पा मोरिया , मंगलमूर्ति मोरिया का जयघोष सुनने को मिलता है| मूर्तिकार तथा कलाकारों द्वारा प्रतिमाओं का निर्माण किया जाता है और सामान्य लोगो द्वारा घरो तथा पंडालो को सजाने की तैयारी की जाती है|

इस त्यौहार को महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश में काफी भव्य रूप से मनाया जाता है| ज्ञान और मंगल कार्यों के देवता हैं| गणपति जी को विघ्नहर्ता भी कहते है लोगों की मान्यता है कि भगवान गणेश जी के जाने पर वह उनके दुःख भी हर लेते है|

धार्मिक होने के साथ साथ पर्यावरण का भी रखें ध्यान:-

धर्म का अर्थ ये नहीं कि आप अपने कर्मो को भूल भक्ति मे ऐसे डूब जाये की अन्य महत्वपुर्ण बातों का ध्यान ही न रखे| गणपति विसर्जन के दिन कितनी ही मूर्तियों को जल में प्रवाहित किया जाता है परन्तु जरा ये सोचिये की जल भी भगवान द्वारा बनाये गए प्राणियों का स्थान है| धार्मिक स्वतंत्रता का अर्थ पर्यावरण से खिलवाड़ करना नहीं है|

इस दस दिन लंम्बे उत्सव के दौरान काफी ज्यादा मात्रा में फूल- मालाएं, प्लास्टिक बैग और प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से बनी मूर्तियां इकठ्ठा हो जाती हैं, ये सब चीजे जल पर्यावरण को दूषित करती है। इनमें से अधिकतर मूर्तियां प्लास्टर आफ पेरिस से बनी होती हैं, जोकि एक अप्राकृतिक पदार्थ है, इसलिए इसे जल में घुलने में महीनों का समय लगता है| इसके अलावा यह मूर्तिंया कई तरह की चीजों जैसे की पेंट और शीशे आदि से सजी होती है, जो कि जल में घुलनशील नहीं होती और जल में रहने वाले जीवो को नुकसान पहुँचाती है| यह एक कारण भी है जल की प्रजातियों के लुप्त होने का|

गणेश चतुर्थी के दौरान प्रदूषण रोकने के उपाय

कुछ मुख्य बातें जिन्हे अपनाकर आप पर्यावरण को बचाने में सहायता कर सकते है वह निम्नलिखित है:-

  • मिट्टी या चंदन के लकड़ी से बनी गणपति की मूर्ति को अपनाकर भी हम जल जीवन को बचाने में अपना योगदान दे सकते है|
  • अगर हम चाहें तो एक ही गणपति की मूर्ति का कई वर्षों तक उपयोग कर सकते है और इसे विसर्जित करने के जगह दूसरी छोटी मूर्तियों को विसर्जित कर सकते हैं|
  • मूर्तियों को मिट्टी में गाढ़ भी सकते है|
  • इंको फ्रेडली गणपति मूर्ति का उपयोग करे ,जो आसानी से पानी में घुल जाती है तथा इनमें लेड और प्लास्टर आफ पेरिस जैसी वस्तुओं का उपयोग नही किया जाता|
  • ऐसी मूर्तियों को ख़रीदे जिनमें कृत्रिम पेंट के जगह हल्दी तथा अन्य प्राकृतिक रुप से प्राप्त रंगो का उपयोग किया गया हो|

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा गया है इसलिए पारिस्थितिकीय तंत्र को ध्यान में रखते हुए इस त्यौहार को पर्यावरण के अनुकूल मनाये|

Image Source : Google