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Irfan Khan Memory: एक पठान के घर में इरफान खान ब्राम्हण कैसे बनें

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बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेताओं में से एक अभिनेता इरफ़ान खान (Actor Irfan Khan) किसकी परिचय के मोहताज नहीं है। अपनी अदायगी से उन्होंने न सिर्फ बॉलीवुड बल्कि हॉलीवुड फिल्मो तक छाप छोड़ी। उनका इस तरह दुनिया को अलविदा कह जाना, बाकई उनके फैंस की आँखे नम कर गया।

बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान ने अपने दम पर सिनेमा में खुद की एक अलग पहचान बनाई। बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक अपने अभिनय की छाप छोड़ने वाले इरफान बह सुपरस्टारडम हासिल करने में कामयाब रहे, जिसका सपना हर अभिनेता देखता है लेकिन मुकाम किसी किसी को ही हासिल हो पाता है। उनकी सादगी हो या अभिनय, देश हो या विदेश हर कोई उन्हें पसंद करता था।

पठान के परिवार में पैदा हुआ ब्राह्राण

इरफान खान अपार प्रतिभा के धनी होने के साथ-साथ वास्तविक जीवन में कई मामलों में दूसरों से अलग थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी इरफान लीक से हटकर चलने वाले लोगों में से हैं। शायद यही कारण है कि वे पठान परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद शुद्ध शाकाहारी रहे। इसको लेकर बकायदा एक किस्सा इन दिनों सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है, जिसको आज हम आपके लिए लेकर आये है। तो आइये जानते है कि इरफ़ान के बारे में ऐसा क्यों कहा जाता था? कि पठान के परिवार में पैदा हुआ ब्राह्राण।

बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक में अपने अभिनय की छाप छोड़ने वाले अभिनेता इरफान खान का जन्म 1967 में जयपुर के एक मुस्लिम पठान परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम साहबजादे इरफान अली खान था। इरफान के पिता व्यापारी थे और उनका टायर का कारोबार था।

इरफान ने पठान मुस्लिम परिवार में जन्म होने के बाद भी कभी मीट या मांस नहीं खाया था और वे बचपन से ही शाकाहारी थे। यही कारण है कि उनके पिता इरफान को मजाक में कहा करते थे कि ये तो पठान परिवार में एक ब्राह्मण पैदा हो गया है।

इरफान के पिता उन्हें शिकार पर भी ले जाया करते थे। जंगल का वातावरण उन्हें काफी पसंद था, लेकिन उन्हें कभी मासूम जानवरों का शिकार करना पसंद नहीं आया। इरफान उन जानवरों के साथ जुड़ाव महसूस करते थे कि आखिर अब इन जानवरों के परिवारों का क्या होगा? इनके बारे में कहा जाता है कि बह राइफल चलाना जानते थे लेकिन कभी शिकार नहीं करते थे।

एक इंटरव्यू के दौरान इरफान ने बताया, ‘मेरे पिता शिकारी आदमी थे शिकार करते थे। हम साथ में जंगल शिकार करने जाते थे। हमें अच्छा लगता था जंगल देखना। लेकिन जानवर मरते थे तो बुरा लगता था। मैं सोचता था कि ये मर गया इसके बेटे का क्या हो रहा होगा। इसकी मां का क्या हो रहा होगा।

ये सब दिमाग में चलता रहता था। एक बार पिता ने मुझसे बंदूक चलवाई थी और एक जानवर मर गया था। और उसके मरने का मुझ पर बहुत ज्यादा असर हुआ था। मुझे पिता कहा करते थे पठानों के घर में ब्राह्मण पैदा हो गया है।’

फेलोशिप के जरिए अपना कोर्स खत्म किया

गौरतलब है कि एनएसडी में इरफान के एडमिशन के कुछ समय बाद उनके पिता का निधन हो गया था और घर की तरफ से मिलने वाले पैसे उन्हें मिलना बंद हो गया थे। एनएसडी से मिलने वाली फेलोशिप के जरिए उन्होंने अपना कोर्स खत्म किया था। उस मुश्किल दौर में इरफान की क्लासमेट सुतापा सिकंदर ने उनका पूरा साथ दिया। 23 फरवरी 1995 में दोनों ने शादी रचा ली थी।

2019 में इलाज करवा कर लौटे थे इरफान

न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर से पीड़ित इरफ़ान खान इलाज के लिए कई दिनों तक लंदन में रहे, वापसी के बाद उन्होंने अपनी फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ की शूटिंग राजस्थान में शुरू की और फिर आगे के शेड्यूल के लिए लंदन चले गए थे, जहां वे डॉक्टर्स के संपर्क में भी रहे। आपको बता दे, उनकी आखिरी फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ थी जो कि लॉकडाउन हो जाने की बजह से सिर्फ दो दिन ही सिनेमाघरों में चल पाई।

फैन्स के लिए इरफ़ान का आखिरी मैसेज

इरफ़ान खान ने अपने फैंस के लिए एक आखिरी मैसेज यू-ट्यूब पर छोड़ा था। जिसमे उन्होंने कहा था, “हैलो भाइयों-बहनों, नमस्कार। मैं इरफान। मैं आज आपके साथ हूं भी और नहीं भी। खैर, ये फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ मेरे लिए बहुत खास है। सच…यकीन मानिए, मेरी दिली ख्वाहिश थी कि इस फिल्म को उतने ही प्यार से प्रमोट करूं, जितने प्यार से हम लोगों ने बनाया है। लेकिन, मेरे शरीर के अंदर कुछ अनवॉन्टेड मेहमान बैठे हुए हैं। उनसे वार्तालाप चल रहा है। देखते हैं किस करवट ऊंट बैठता है। जैसा भी होगा आपको इत्तिला कर दी जाएगी।”

चुनिंदा फिल्में और सम्मान

इरफान ने पीकू, लाइफ ऑफ पाई, द नेमसेक, स्लमडॉग मिलेनियर, पान सिंह तोमर, हासिल, लाइफ इन अ मेट्रो, तलवार, मकबूल, ये साली जिंदगी, हैदर जैसी कई चर्चित फिल्मों में काम किया है। बॉलीवुड एक्टर इरफ़ान खान ने बॉलीवुड ही नहीं बल्कि हॉलीवुड फिल्मो में भी काम किया था। उनके दमदार एक्टिंग लोगो के जहाँ में सदा यादगार रहेगी।

आपको बता दे, इरफ़ान खान ने ‘मकबूल’, ‘लाइफ इन अ मेट्रो’, ‘द लंच बॉक्स’, ‘पीकू’, ‘तलवार’ और ‘हिंदी मीडियम’ जैसी शानदार फिल्मों में काम किया है। लाइफ इन अ मेट्रो’ (बेस्ट एक्टर), ‘पान सिंह तोमर’ (बेस्ट एक्टर क्रिटिक) और ‘हिंदी मीडियम’ (बेस्ट एक्टर) के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। ‘पान सिंह तोमर’ के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड दिया गया था। कला के क्षेत्र में उन्हें देश का चौथा सबसे बड़ा सम्मान पद्मश्री भी मिल चुका है।