हिमाचल प्रदेश में राज्य के कर्मचारियों और पेंशनर्स को 1 तारीख को सैलरी और पेंशन नहीं मिली। कहा जा रहा है कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। इस समय राज्य आर्थिक संकट से गुजर रहा है। जिसके कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। आर्थिक संकट को देखते हुए ही सरकार ने बीते दिनों बड़ा फैसला लिया था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को एलान किया था कि मुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य संसदीय सचिव, बोर्ड निगमों के चेयरमैन दो महीने तक वेतन-भत्ता नहीं लेंगे।
इसे भी पढ़ें – पंजाब विधानसभा के लिए आज कूच करेंगे किसान, सीएम मान को देगें मांग पत्र
कर्ज ने बढ़ाई हिमाचल प्रदेश की परेशानी
बता दें कि हिमाचल प्रदेश पर वर्तमान में लगभग 94 हजार करोड़ रुपये का भारी कर्ज है। इस पुराने कर्ज चुकाने के लिए नए कर्ज लेने पड़ रहे हैं। कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए राज्य सरकार पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारियां बकाया हैं। इस राशि का भुगतान न कर पाने की स्थिति में सरकार को भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, हिमाचल सरकार के बजट का 40 फीसदी तो सैलरी और पेंशन देने में ही चला जाता है। लगभग 20 फीसदी कर्ज और ब्याज चुकाने में खर्च हो जाता है।