अक्सर किसी ऐतिहासिक स्मारक या अन्य किसी जगह पर घूमने जाने वाले अधिकांश लोग वहां के यादगार पलों को संजोने के लिए तुरंत स्मार्टफोन या कैमरे में निकालकर धड़ाधड़ फोटो लेना शुरू कर देते हैं। मगर यह आदत हमारी याददाश्त को नुकसान पहुंचा सकती है।
अमेरिकी शोधकर्ताओं का कहना है कि फोटो लेने की लत हमारी उस इवेंट या खास मौके से जुड़ी यादों को बिगाड़ सकती है।
दरअसल ऐसा करके व्यक्ति उस खास पल और स्मारक पर फोकस करने की बजाय फोटो लेने में अधिक एकाग्र होता है। पाया गया कि प्रतिभागियों ने आर्टवर्क की जानकारी याद करने में अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि वे देखने के वक्त फोटो लेने में मशगूल नहीं थे। कई लोग जीवन में महत्वपूर्ण क्षणों को सहेजकर रखने के लिए तस्वीरें लेते हैं, लेकिन अध्ययन से पता चला है कि यह तरीका वास्तव में नुकसानदायक है।
अमेरिकी शोधकर्ताओं के अनुसार, एक ही वक्त पर दो टास्क पूरे करना यानी दृश्य को देखना और फोटो लेना सही नहीं है। इससे फोटोग्राफ से जुड़ी याददाश्त को हानि पहुंच सकती है।
ऐसे किया अध्ययनः शोधकर्ताओं ने 525 प्रतिभागियों पर पांच प्रयोगों की श्रृंखला आयोजित की। उन्हें पेंटिंग, स्कैच और फोटोग्राफ समेत विभिन्न आर्टवर्क दिखाए। उनसे अन्य आर्टपीस को देखने के दौरान कैमरा फोन का इस्तेमाल करते हुए कुछ कलाकृतियों के फोटोग्राफ लेने को भी कहा गया। इसके बाद प्रतिभागियों को सूचित किया गया कि उन्होंने जो कलाकृति देखी है, उससे जुड़ा एक मैमोरी टेस्ट पूरा करना होगा।
यह अंतर आए सामने पांच प्रयोगों के बाद फोटोग्राफ लिए जाने वाली कलाकृति से जुड़ी स्मृति बेहद खराब थी, बजाय उस आर्ट के जिसे सिर्फ देखा गया, फोटोग्राफी नहीं की गई। कलाकृति देखने और उससे जुड़ी स्मृति को बताने में 20 मिनट की छोटी अवधि और 48 घंटे की देरी की अवधि के बाद भी समान प्रभाव देखे गए।
शोधकर्ताओं ने दिया सुझाव शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिभागियों ने अवधारणात्मक रूप से संचालित और वैचारिक रूप से संचालित परीक्षणों दोनों में स्मृति हानि का अनुभव किया। उन्होंने कहा कि हम उन अनुभवों को याद करने के लिए तस्वीरें लेते हैं, जो कुछ मिनट पहले हुए थे। शोधकर्ताओं ने लोगों को आर्ट एवं लैंडमार्क देखने जाते समय वर्तमान पल में रहने का सुझाव दिया।