दुनियाभर में पाँच करोड़ लोग और भारत के करीब एक करोड़ लोग मिर्गी के शिकार हैं| विश्व की कुल जनसँख्या के 8 से 10 प्रतिशत तक लोगों को अपने जीवनकाल में एक बार इसका दौरा पड़ सकता है|
मिर्गी के 10 में से 6 लोगों के लिए, इसका कारण निर्धारित नहीं किया जा सकता है| कई तरह की चीजों से दौरे पड़ सकते हैं| यह किसी भी उम्र में विकसित हो सकती है|निदान आमतौर पर बचपन में या 60 वर्ष की आयु के बाद होता है|
आनुवंशिकता कुछ प्रकार की मिर्गी में भूमिका निभाती है| 20 वर्ष की आयु से पहले इस बीमारी के होने की संभावना बस 1% ही होती है|
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यदि आपके माता-पिता जिनकी मिर्गी आनुवांशिकी से जुड़ी है, तो यह आपके जोखिम को 2 से 5 प्रतिशत तक बढ़ा देता है|
मिर्गी का सही ढंग से इलाज न होने पर यह तीन से पांच साल में यह बीमारी दोबारा उभर सकती है| डॉक्टर हमेशा एंटी-मिर्गी सिजुरे-रोकथाम दवाईयां ही लिखते है|
यदि दवाएं काम नहीं करती हैं, तो अगला विकल्प सर्जरी हो सकता है| डॉक्टर का उद्देश्य आगे के दौरे को होने से रोकना है, जबकि एक ही समय में दुष्प्रभावों से बचना है ताकि रोगी एक सामान्य, सक्रिय और उत्पादक जीवन जी सके|
मिर्गी क्या है?
यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति बार-बार दौरे का अनुभव करता है, क्योंकि मस्तिष्क में अचानक विद्युत गतिविधि बढ़ने से मस्तिष्क कोशिकाओं के बीच मैसेजिंग सिस्टम में अस्थायी गड़बड़ी होती है| यह एक न्यूरोलॉजिकल विकार है|
मिर्गी के कारण:-
ये बीमारी कई कारणों की वजह से हो सकती है, उसमें से कुछ कारण हम आपको यह पर बताने जा रहे है|आईये फिर अब हम इसके कुछ आम कारणों के बारे में जानते है|
-मस्तिष्क पर चोट लगना
-किसी गंभीर बीमारी की वजह से
-स्ट्रोक, जो 35 वर्ष से अधिक वर्ष के लोगों में बहुत ही आम बात है
-मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी के कारण
-जन्म के समय मातृ दवा का उपयोग, प्रसवपूर्व चोट, मस्तिष्क की विकृति या ऑक्सीजन की कमी
मिर्गी के लक्षण:-
मिर्गी के लक्षण सामान्य नहीं होते है, ये मिर्गी के प्रकार पर भी निर्भर होते है|
-दौरे मिर्गी के मुख्य लक्षण हैं|
-सिर चकराना
-झुनझुनी और अंगो में मरोड़ आना
-एकटक निगाह रखना
-शरीर का सख्त होना
-जीभ का काटना
-बेहोशी आना
-मूत्राशय या आंत्र नियंत्रण में हानि होना
-मुँह से झाग आना
-आंखों की पुतलियों ऊपर की तरफ खिंचना
-हाथ या पैर का लगातार चलना या झटके से लगना
यदि किसी को मिर्गी आ जाये तो क्या करें ?
-टाइट कपड़ों को ढीला कर दें|
-पैनिक न हों, न ही घबराकर और शोर-शराबा न मचाएं|
-मरीज को करवट से लिटा दें ताकि थूक गले में जाकर अटके नहीं|
-उसके आसपास भीड़ न लगाएं| हवा आने दें|
-मिर्गी में ज्यादा शारीरिक और मानसिक कार्य न करें|
-मरीज के हाथ-पैरों की मालिश न करें, न ही उसे चप्पल आदि सुंघाएं|
-उसके शरीर के अकड़े हुए अंगों को जबरन सीधा करने की कोशिश न करें|
-5-6 मिनट में मरीज होश में ना आए तो डॉक्टर के पास ले जाएं क्योंकि अगर उसी अवस्था में दोबारा दौरा पड़ गया तो घातक हो सकता है|
मिर्गी का इलाज:-
-मिर्गी के मरीज को पूरी नींद लेना भी बहुत जरूरी है|
-मरीज को किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए|
-दवा डॉक्टर की सलाह पर बंद करनी चाहिए|
-एंटी-एपिलेप्टिक, एंटीकॉन्वेलसेंट, एंटीसेज़्योर) दवाएं: ये दवाएं आपके पास होने वाले दौरे की संख्या को कम कर सकती हैं|
-काजू , बादाम और अखरोट का सेवन करना चाहिए|
-जरुरत से ज्यादा भोजन नहीं करना चाहिए|
-मांस- मछली ना खाएं|
-उत्तेजक पदार्थ जैसे- शराब, तम्बाकू और सिगरेट का परहेज़ करना चाहिए|
-मसालेदार और तले हुए व्यंजनों का सेवन न करें|
-रोजाना सुबह और शाम दूध पीना चाहिए|
-खतरनाक मशीनों के संचालन से भी उसे बचना चाहिए|
-समय पर अपनी दवाई खाएं|
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