Advertisement

दिल्ली प्रदूषण:- क्या हम सोच रहे है?

0
120
दिल्ली प्रदूषण:- क्या हम सोच रहे है?

क्या हम सोच रहे है? हम हमेशा उन्हें बोलते है, उन्हें कोसते हैं| क्या हम कुछ कर रहे है, कभी पूछा है खुद से कि मैंने क्या किया इसे बचाने के लिए? रोज मर रहे है हम और हमारी प्रकृति भी, लोग हमेशा कहा करते थे, “यहाँ तो सास लेना भी मुश्किल हो गया है, घुटन महसूस होती है|

लोग इस वाक्य का प्रयोग बहुत सी जगहों पर करते हैं, कभी रिश्तों में हुई अनबन के कारण तो कभी पर्यावरण में बढ़ रहे दिल्ली प्रदूषण के कारण| लेकिन अब ऐसा हो गया है कि हम सच में घुटन महसूस करते है| हमसे सास नहीं लिया जाता और शायद हम तिल-तिल कर, मर भी रहे हैं और इसके जिम्मेदार हम खुद ही हैं|

दिल्ली को हम दिलवालों का शहर बोलते है, यहाँ के लोग इतने दिलवाले है कि दिल्ली के हवा में ही जहर घोल दिया है| पिछले कुछ दिनों से दिल्ली गैस चैंबर बना पड़ा है| यहां की हवा इतनी प्रदूषित हो गई है कि आंखों में जलन तक होने लगी है, ज़्यादा प्रदूषण के कारण हम सामने देख तक नहीं पा रहे है और हमें इसी प्रदूषण में अपने रोजमर्रा का काम करना पड़ता है|

इसे भी पढ़ें: भारत के 8 सबसे बेस्ट और पॉपुलर लैपटॉप

इस बारी का प्रदूषण इतना ज़्यादा था कि प्रदूषण मापने वाली मशीन भी सही आंकड़ा नहीं दे पा रही थी|बात अगर आंकड़ों की करे तो दिल्ली में पिछले 5 सालों में 25 प्रतिशत प्रदूषण कम हुआ है, लेकिन इस बार हरियाणा पंजाब में किसानों द्वारा जलाई जाने वाली पराली की संख्या काफी ज़्यादा बढ़ गई,

जिसकी वजह से दिल्ली में इस साल और भी ज़्यादा प्रदूषण देखने को मिला, आंकड़ों की माने तो 40% प्रदूषण का कारण हरियाणा पंजाब में जलाई जा रही पराली है, और बाकी का 60 प्रतिशत हमारे और सरकार की लापरवाहियों के कारण हुआ है|

इसे भी पढ़ें: हाउसफुल 4 मूवी रिव्यु : अक्षय, बॉबी और रितेश की जोड़ी ने फैन्स को किया खुश


2015 में ही सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसके अनुसार, दिल्ली में हर साल दस से तीस हज़ार लोग वायु प्रदूषण के कारण मर जाते हैं| यह 2019 है इतनी सीरीयस रिपोर्ट के बाद भी हम करीब-करीब ज़ीरो की स्थिति पर खड़े हैं|

वल्लभ भाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट के आंकड़े के अनुसार 2003-04 में ओपीडी केस की संख्या 51, 694 हो गई थी जो 2006-7 में घट कर 47, 887 हो गई थी| लेकिन वही 2013-14 में बढ़कर 65, 122 हो गई जो बहुत खतरनाक है| इसी रिपोर्ट के अगले दिन यानी 1 अप्रैल 2015 के एक्सप्रेस में एक रिपोर्ट छपी| इस रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली के सरदार पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट के आईसीयू में वायु प्रदूषण से बीमार मरीज़ों की संख्या 11 गुना बढ़ गई है|

एम्स के रेस्पिरेटरी डिपार्टमेंट की ओपीडी में 2005-06 के मुकाबले 2014-16 में 300 प्रतिशत का इजाफा देखा गया था जिसके बाद मजबूर हो कर एम्स को 2013 में अलग से रेस्पिरेटरी डिपार्टमेंट बनाना पड़ा क्योंकि उसके पहले चेस्ट डिपार्टमेंट में ही इलाज होता था|

रिपोर्ट में बताया गया कि 9-10 साल के बच्चे के फेफड़े इतने कमज़ोर हो चुके हैं जैसे दनादन सिगरेट पीने वालों के फेफड़े हुआ करते हैं| लोगों को गंभीर बीमारियों होने लगी हैं| सांस का सिस्टम कमज़ोर होने लगा है| एक डॉक्टर का बयान छपा है कि पहले किसी भी उम्र में उम्मीद करते थे कि फेफड़ा 80 फीसदी काम कर रहा होगा तो अब वायु प्रदूषण के कारण 60 प्रतिशत ही काम करता है|

इसे भी पढ़ें: व्हाट्सऐप हैकिंग: कौन रख रहा है आपके व्हाट्सऐप पर नजर

बच्चों के डॉक्टर ने इसी रिपोर्ट में कहा था कि गिनती नहीं है कि कितने बच्चों के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट लिखे हैं| यह सारी बाते आपको बताना ज़रूरी है इसलिए आपको 2015 के साल में ले गया ताकि पता चले कि यह स्थिति आज पैदा नहीं हुई है| यही नहीं आप बनारस का हाल देखिए, यहाँ पीएम 2.5 का लेवल 500 पहुंच गया |

जहाँ वह लेवल 25 से कम होना चाहिए| बनारस, प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र है| क्या बनारस में पराली जल रही है, सोमवार को यहाँ चार बजे पीएम 2.5 479 हो गया| चलिए यह तो दिल्ली की खुशनसीबी है कि यह बार मीडिया थोड़ा बहुत ध्यान दे रहा है और यहाँ का मुद्दा सामने है लेकिन बनारस, कानपुर, मेरठ जैसे शहरों का क्या उनका क्या होगा, उनकी बात कौन करेगा?

रविवार के आंकड़े के अनुसार भारत के जो दस प्रदूषित शहर है उनमें से सात यूपी के हैं| सोमवार को कानपुर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 435 हो गया, बनारस से भी अधिक| दोपहर 12 बजे से लेकर 4 बजे तक पीएम 2.5, 500 था| कायदे से कानपुर बंद हो जाना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ, दिल्ली भी कायदे से बंद हो जानी चाहिए थी लेकिन नहीं हुई लोग शाम को मजे से स्टेडियम में बैठकर क्रिकेट मैच देख रहे थे|

इसे भी पढ़ें: 2019 की सबसे महत्त्वपूर्ण राजनीतिक घटनाएँ

मार्च के महीने में एक रिपोर्ट आई थी कि दुनिया के सबसे प्रदूषित 10 शहरों में से सात भारत के थे| इनमें से छह शहर दिल्ली के आस-पास के थे| गुरुग्राम, गाज़ियाबाद, फरीदाबाद, भिवाड़ी और नोएडा, इसके बावजूद हमने क्या कर लिया था| 4 नवंबर को फरीदाबाद का एयर क्वालिटी इंडेक्स 397 था जो बहुत खराब है| बागपत दिल्ली से 55 किमी दूर है वहाँ पर एयर क्लालिटी इंडेक्स 500 हो गया था|

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “हर साल दिल्ली घुट जाती है और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं| क्या लोगों को जीने का अधिकार है? एक परौली जलाता है और इससे दूसरों के जीने के अधिकारों का उल्लंघन होता है| केंद्र और दिल्ली सरकार एक दूसरे पर जिम्मा थोंप रही है| अब केंद्र करे या फिर दिल्ली सरकार हमें इससे मतलब नहीं|

इसे भी पढ़ें: फ्रांस से मिला भारत को जेट : क्या है इसमें खास

क्या बच्चे, क्या बूढ़े और क्या जवान, सब बीमार हो रहे हैं| आखिर किसान पराली क्यों जलाते हैं? जुर्माना भी तय किया गया है तो फिर कैसे पराली जलाई जा रही हैं? सरकारें क्या कर रही हैं?”

साथ ही कोर्ट ने कहा कि “हम कीमती जीवन खोते जा रहे हैं| हम हमेशा आदेश जारी करते हैं| ऐसे वातावरण में कोई कैसे सर्वाइव करेगा| हमें इस मुद्दे पर लंबे वक्त तक चलने वाले उपाय अपनाने होंगे| पंजाब हरियाणा आदि में पराली जलाने का कारण क्या हैं?

अगर पराली जलाने पर रोक है तो दोनों सरकारें (केंद्र और राज्य सरकार) भी जिम्मेदार हैं| ग्राम पंचायत, सरपंच क्या कर रहे हैं? हमें जानना है कि पंजाब और हरियाणा में कौन पराली जला रहे हैं? हम ऐसे ही बैठे नहीं रह सकते। हमें कदम उठाने होंगे| ग्राम सरपंचों को जानकारी होगी|

इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि “परौली जलाने से रोकना होगा आगे कोई भी उल्लंघन हुआ तो हम प्रशासन पर नीचे से ऊपर तक शिकंजा कसेंगे| लोग मर रहे हैं, सभ्य देश में ऐसा नहीं हो सकता| इस देश में दुख की बात है, लोग केवल नौटंकी में रुचि रखते हैं| ऐसा हर साल हो रहा है|”

कोर्ट ने कहा कि “इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार हैं| लोगों को इस तरह मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता| यह हैरान कर देने वाला है| आप लोगों ने सब चीजों का मजाक बना दिया| पराली जलाना रोकना होगा| राज्य सरकारों को चुनाव में ज़्यादा दिलचस्पी है| हम इसे सहन नहीं करेंगे|” सुप्रीम कोर्ट ने मंत्रालय से भी एक अफसर को बुलाने को कहा है|

इसे भी पढ़ें: वीज़ा फ्री ट्रेवल: ऐसे देश जहाँ बिना वीज़ा के घूम सकते हैं भारतीय

सारी बाते एक ही चीज बताती हैं, इस बर्बादी की जिम्मेदारी हम पर कैसे ना आए| यह ज़रूरी है कि हम इस बर्बादी में कितना कम शामिल होते है| कैसे हम कम से कम प्रदूषण फैलाने की कोशिश कर सकते हैं और सरकारों से सवाल कर सकते हैं कि, आखिर सरकार कह रही हैं,

“हमने प्रदूषण को कम करने के लिए काम किया” तो फिर भी इतना ज़्यादा प्रदूषण क्यों है, क्यों दिल्ली में इमरजेंसी लागू करनी पड़ी| चाहे सवाल राज्य सरकार से हो या केंद्र सरकार से, आपको सवाल करना पड़ेगा और सरकार से जवाब मांगने होंगे|

IMAGE SOURCE: .jagran.com/