मेरठ : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने रविवार को कहा (Cow Based Farming) कि किसानों को अपनी परेशानी कम करने के लिए खेती की लागत को घटाना होगा। ऐसा केवल गौ आधारित खेती से ही संभव है। गौ आधारित जैविक खेती से ही विषरहित खाद्य पदार्थ और विषमुक्त पर्यावरण मिलेगा। उन्होंने देशभर के किसानों से गौ आधारित जैविक खेती को अपनाने का आह्वान किया। हस्तिनापुर में भारतीय किसान संघ के तीन दिवसीय गौ आधारित जैविक कृषि कृषक महासम्मेलन का रविवार को समापन हो गया।

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जम्बूद्वीप के मोती धनुष अयोध्यापुरी मंडप में आयोजित समापन समारोह में मुख्य अतिथि डॉ. भागवत ने किसानों को गौ आधारित जैविक खेती को अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय कृषि अपनी जन्मदात्री को नष्ट नहीं करती है। भारतीय कृषि प्रकृति से उतना ही लेती है, जितनी जरूरत है ताकि प्रकृति का भंडार बना रहे। बथुआ हमारे
खेत की मेड़ों पर होता था। बेर कितना पोषक है। इस पर आज लेख आ रहे हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि हरेक की अपनी जगह है। भारतीय खेती का चक्र पहचान कर हमें चलना होगा। रसायन मिट्टी से तत्वों को नष्ट कर देते हैं, लेकिन गौ आधारित पेस्टिसाइड कीटों को नियंत्रित करते हैं।

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Cow Based Farming – सरसंघचालक ने कहा कि गौ आधारित खेती में किसानों को कहीं लोन लेने जाना नहीं पड़ता था, इसलिए खेती की लागत कम होती थी। नदियों के पानी के बहाव को पहचान कर सिंचाई हो जाती थी। गौ आधारित खेती प्रकृति के चक्र को नहीं बिगाड़ती है। जैविक खेती भारत की धरोहर और परंपरा है। पहले देश में कीटनाशकों का कभी खेती में प्रयोग नहीं हुआ। आज हमने कीटनाशक डालकर खेतों को तबाह कर दिया है। मिट्टी के साथ भोजन भी जहरीला हो चुका है। अपने प्रवास के दौरान डॉ. भागवत ने जैविक खेती करने वाले किसानों के साथ भी संवाद किया और उनकी बातें सुनीं।