कभी सोचा है, अगर आप एक ही दिन को बार-बार जीने लगें तो क्या होगा? हर सुबह एक ही जगह, एक ही पल में जागना, वही बातें, वही लोग…कोई भी ऐसी बोरिंग जिंदगी नहीं जीना चाहेगा, पर बनारस (can not forgive) का रंजन (राजकुमार राव) इस ‘टाइम लूप’ में बुरी तरह फंसा हुआ है. मैडॉक फिल्म्स और दिनेश विजन एक बार फिर राजकुमार राव के साथ एक नई कहानी लेकर आए हैं, जिसका नाम है ‘भूल चूक माफ.’ लेकिन अफसोस, इस फिल्म को देखने के बाद दर्शक एक अच्छे विषय को इतनी बुरी तरह पेश करने के लिए मेकर्स को कभी ‘माफ’ नहीं कर पाएंगे. काफी इंतजार के बाद, कई बार रिलीज की तारीखें बदलने, ओटीटी से पीवीआर थिएटर तक के सफर और मानहानि के दावों के बावजूद, आखिरकार ये फिल्म सिनेमाघरों में पहुंच ही गई है.
can not forgive – कहानी की शुरुआत होती है मंदिरों और घाटों के शहर बनारस से, जहां रंजन (राजकुमार राव) अपनी बचपन की मोहब्बत, तितली (वामिका गब्बी) से शादी के सपने देख रहा है. लेकिन इस शादी के लिए तितली के पिता राजी नहीं है. अब रंजन नौकरी के चक्कर में हर मुमकिन कोशिश करता है और आखिरकार उसे महज 2 महीने में सरकारी नौकरी भी मिल जाती है. लेकिन फिर भी उसकी जिंदगी थम जाती है. हर सुबह उठकर रंजन उसी दिन पर लौट आता है, जब उसका हल्दी समारोह चल रहा था. शादी के दिन तक वो पहुंच नहीं पाता. अब इस मुश्किल उलझन को रंजन कैसे सुलझाएगा?
जानें कैसी है फिल्म
‘भूल चूक माफ’ देखने के बाद एक अच्छे विषय को बुरी तरह से पेश करने की भूल करने के लिए दर्शक निर्देशक करण शर्मा को कभी माफ नहीं कर पाएंगे. 121 मिनट की फिल्म में फिल्म में इतने किरदार और इतनी छोटी-छोटी कहानियां ठूस दी गई हैं कि हम कन्फ्यूज हो जाते हैं. उदहारण के तौर पर बात की जाए तो इस फिल्म के प्रेस शो में हुए इंटरवल में ही कई लोगों ने ये अंदाजा लगा लिया था कि आगे क्या होने वाला है, लेकिन डायरेक्टर ने फिर भी इंटरवल के आधे घंटे के बाद मुद्दे की बात करना शुरू किया.