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भागवत कथा में दिखा फागोत्सव का रंग, पुष्पों की हुई बारिश, खेली लट्ठ मार होली

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bhagwat katha

नागौर। विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय, नागौर में डिडवानिया परिवार द्वारा अपने पूर्वजों की पुण्य स्मृति में आयोजित महामण्डलेश्वर स्वामी कुशालगिरी महाराज के सानिध्य में गोहितार्थ विशाल भागवत कथा (Bhagwat Katha)  के पंचम दिवस पर प्रसिद्ध कथा वाचिका देवी ममता ने नटखट श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान की बाल लीलाएं मानव जीवन के लिए प्रेरणादायक है। भगवान कृष्ण बचपन में अनेक लीलाएं करते हुए सभी का मन मोह लिया करते थे। भगवान गोपियों को चिढ़ाने के लिए माखन चोरी कर लेते थे, इसलिए भगवान माखनचोर कहलाये।कथा में  ‘भगवान कृष्ण की नटखट बालस्वरुप’ एवं  ‘गिरिराज को छप्पन भोग’ की दिव्य सजीव झांकी सजाई गयी। कथा में होली का रंग देखने को मिला राधा कृष्ण ने पुष्पों की होली खेली व श्रद्वालुओं ने फागोत्सव के गीतों पर जमकर नृत्य कर आंनद उठाया साथ ही लट्ठ मार होली भी खेली गयी।

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देवीजी ने बताया कि बाल लीला में भी श्री कृष्ण ने अनेक राक्षसों का संहार किया पूतना नाम की शक्तिशाली राक्षसी वेश बदलकर भगवान श्री कृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाकर मारने की कोशिश की लेकिन श्री कृष्ण उसको पहचान लेते है और मौत के घाट उतार देते हैं।देवराज इन्द्र के अहंकार को दूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में पूजा बंद करवा दी और गोवर्धन की पूजा करवाई जिससे इन्द्र कुपित होकर ब्रजमंडल पर मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। तब श्री कृष्ण ने अपनी कनिष्ठ अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की। गोवर्धन पर्वत उठाने के कारण कृष्ण गिरधर कहलाये।

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(Bhagwat Katha – भागवत कथा के दौरान महामण्डलेश्वर ने ‘बेशकीमती हीरे’ का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि एक गडरिया को जंगल में बेशकीमती पत्थर मिलता है। वह उस पत्थर का मूल्य जानने के लिए सब्जी की दुकान पर मोलभाव करता है, उसके बाद वह किराने की दुकान पर मोलभाव करता है, लेकिन उसकी कीमत बढ़ती देख वह संतुष्ठ नही होता है। उसके बाद व सुनार के पास व आखिर में जौहरी से उसका मोल भाव करता है, जौहरी अपनी पारखी नजरों से उसका सही मूल्य लगाता है। उन्होंने प्रसंग के माध्यम से बताया कि गुणी व्यक्ति का मूल्य गुणवान व्यक्ति ही समझ सकता है।