भगवान राम के चरण जहां जहां पड़े, वहां पर श्रीराम स्तंभ स्थापित किया जाएगा. ये श्रीराम स्तंभ आने वाली पीढ़ियों को भगवान राम की संस्कृति को बताने का काम करेंगे. ये सभी स्तंभ मील के पत्थर होंगे (5000 km and 293 places) जो पीढ़ियों को बताएंगे कि कभी भगवान के चरण इस स्थान पर भी पड़े थे. इस संबंध में श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास ने पूरे राम वन गमन मार्ग को चिन्हित करते हुए बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले के तहत अयोध्या से जनकपुर और अयोध्या से श्रीलंका तक कुल 292 स्थानों पर श्रीराम स्तंभ लगाए जाएंगे.

5000 KM और 292 स्थान

उन्होंने बताया कि श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास ने श्रीराम वनगमन मार्ग पर 292 महत्वपूर्ण स्थानों को चिन्हित किया है. यह वह स्थान हैं, जहां भगवान ने कुछ पल गुजारे हैं. इन सभी स्थानों पर श्रीराम स्तंभ स्थापित किए जाएंगे. यह स्तंभ लगभग 15 फीट ऊंचे होंगे और अयोध्या से लेकर नेपाल तथा श्रीलंका तक लगभग पांच हजार किलोमीटर के पथ पर लगाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि श्रीराम स्तंभ महज एक स्थापत्य चिन्ह नहीं होंगे, बल्कि यह हमारी सनातन परंपरा, आस्था और सांस्कृतिक गौरव के प्रतीक होंगे.

ये है श्रीराम वन गमन मार्ग

भगवान श्रीराम की यात्रा को चार भागों में वर्गीकृत किया गया है. इसमें पहली यात्रा विश्वमित्र मुनि के साथ ताड़का वध के लिए हुई. दूसरी यात्रा विवाह के लिए मिथिला तक और तीसरी यात्रा चौदह वर्ष की वनगमन और चौथी यात्रा सिंघलान्क यानी श्रीलंका की यात्रा है.उन्होंने बताया कि वन यात्रा में चिन्हित स्थान को मानचित्र (5000 km and 293 places) पर दर्शाया गया है. ये स्थान उत्तर प्रदेश, बिहार, नेपाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, ओड़िशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा तमिलनाडु के नगरों, गांवों, जंगलों, पहाड़ियों तथा समुद्र के किनारे स्थित हैं. इनमें से कई स्थान तो संरक्षण और संवर्धन के अभाव में लुप्त भी हो गए हैं.

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