केंद्र सरकार ने यूएपीए के सेक्शन 3 के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उससे जुड़े संगठनों पर (Ban On PFI) बैन लगा दिया है। गृह मंत्रालय ने पीएफआई के काले कारनामे गिनाते हुए बताया है कि इसके सदस्य आतंकी गतिविधियों में संलिप्त हैं और विदेशों से फंडिंग लेकर यह संगठन देश में अस्थिरता, हिंसा और भय का माहौल बनाने का काम कर रहा है। दो दिनों की बड़ी छापेमारी में पीएफआई के 300 से ज्यादा कार्यकर्ता और पदाधिकारी गिरफ्तार किए गए।
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Ban On PFI – सरकार के प्रतिबंध के बाद अब पीएफआई विरोध प्रदर्शन, सम्मेलन, कॉन्फ्रेंस, डोनेशन एक्सरसाइज या फिर किसी तरह का प्रकाशन नहीं कर सकेगा। इस संगठन द्वारा की जाने वाली हर गतिविधि गैरकानूनी मानी जाएगी। इसके अलावा कोई भी व्यक्ति अगर इन संगठनों से जुड़ा हुआ पाया जाता है तो एजेंसियां और स्थानीय पुलिस तत्काल कार्रवाई कर सकती हैं।
एजेंसी ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है उनपर भी यूएपीए के तहत केस दर्ज किया गया है। इसके अलावा आने वाले दिनों में और भी कई लोगों पर कार्रवाई होगी। इसके अलावा मामले के जानकार लोगों का कहना है कि पीएफआई से जुड़े लोगों पर ट्रैवल बैन लगाया जा सकता है। इसके असावा बैंक अकाउंट और संपत्तियों को भी सीज किया जा सकता है। सरकार ने स्पष्ट कहा है कि पीएफआई के संबंध प्रतिबंधित संगठन सिमी से भी हैं। इसके अलावा आईएसआईएस और बांग्लादेश के आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश से भी लिंक है।
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जेबीएम को 2019 में बैन कर दिया गया था। इसके आतंकी पश्चिम बंगाल, असम, झारखंड, कर्नाटक और अन्य राज्यों तक फैले हुए थे। इन राज्यों में आतंकी गतिविधियां चलाई जाती थीं और फंड इकट्ठा करने की कोशिश होती थी। कई जगहों पर ट्रेनिंग भी होती थी। 2014 में बर्दवान में बड़ी कार्रवाई हुई थी और जेबीएम के 50 से ज्यादा सदस्य गिरफ्तार किए गए थे। इसके अलावा 100 से ज्यादा बम भी बरामद किए गए थे।