प्रदुषण से मिसकैरेज हो रहे है, रिसर्च में आये चौकाने वाले आंकड़े:
वैज्ञानिकों ने पाया है कि भारत और दक्षिण एशिया के दूसरे देशों में बड़ी संख्या में मिसकैरेज यानी स्वतः गर्भपात और रिटल-बर्थ वानी मृत-जन्म के लिए जिम्मेदार कारणों में से वायु प्रदूषण भी शामिल हो सकता है ‘द लैंसेट मेडिकल जर्नल’ में छपे एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि दक्षिण एशिया में हर साल करीब 3,50,000 गर्भ नष्ट होने के मामलों का प्रदूषण के बढ़े हुए स्तर से संबंध पाया गया है। इसे 2000 से 2016 के बीच गर्भ नष्ट होने के कुल मामलों में से 7 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार पाया गया है दक्षिण एशिया में वैश्विक स्तर पर गर्भ नष्ट होने के मामलों की सबसे ऊंची दर है और यह इलाका सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण के इलाकों में भी शामिल है। अध्ययन के मुख्य लेखक पैकिंग विश्वविद्यालय के ताओ श्यू ने एक बयान में कहा कि हमारे निष्कर्ष इस बात को साबित करते है कि प्रदूषण के खतरनाक स्तर का मुकाबला करने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है।
इस अध्ययन के पहले लैंसेट में ही पिछले महीने एक रिपोर्ट छपी थी जिसमें भारत में खराब वायु गुणवत्ता का 2019 में हुई 16.7 लाख मौतों से संबंध बताया था। ये संख्या उस वर्ष हुई कुल मौतों के 18 प्रतिशत के बराबर थी। 2017 में ये संख्या 12.4 लाख थी। उस विश्लेषण में पाया गया था कि प्रदूषण की वजह से फेफड़ों की दीर्घकालिक बीमारी, सांस लेने के संक्रमण, फेफड़ों का कैंसर, दिल की बीमारी, दिल का दौरा, मधुमेह, नवजात शिशु संबंधी बीमारी और मोतियाविंद जैसी बीमारियां होती हैं।
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ताजा अध्ययन में चीनी शोध टीम ने दक्षिण एशिया में ऐसी 34,197 माताओं के डाटा का अध्ययन किया जिन्हें कम से कम एक बार स्वतः गर्भपात या मृत-जन्म हुआ हो और उन्होंने एक या एक से ज्यादा जीवित बच्चे को भी जन्म दिया हो। इनमें से तीन-चौथाई से भी ज्यादा महिलाएं भारत से थीं और बाकी पाकिस्तान और बांग्लादेश से। वैज्ञानिकों ने इन माताओं का गर्भावस्था के दौरान पीएम 2.5 के जमाव से संपर्क में आने का अनुमान लगाया पीएम 2.5 धूल, कालिख और धुएं में पाए जाने वाले बहुत छोटे कण होते हैं, जो फेफड़ों में फंस सकते हैं और रक्त प्रवाह में घुस सकते हैं। वैज्ञानिकों ने हिसाव लगाया कि सालाना गर्भ नष्ट होने के मामलों में 7.1 प्रतिशत मामले भारत के वायु गुणवत्ता के मानक 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर के प्रदूषण और विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देश 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर के प्रदूषण की वजह से हुए। अध्ययन के सह-लेखक चिकित्सा विज्ञान की चाइनीज अकादमी में कार्यरत तिआनजिया गुआन ने कहा कि गर्भ नष्ट होने की वजह से महिलाओं पर मानसिक, शारीरिक और आर्थिक असर होते हैं और इन्हें कम करने से लिंग- आधारित वराबरी में प्रारंभिक सुधार हो सकते हैं। भारत के शहर प्रदूषण के स्तर की वैश्विक सूचियों में सबसे ऊपर रहते हैं । नई दिल्ली को दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी माना जाता हैं|
देश में हवा दूषित करने के लिए उद्योग, कोयले से चलने वाले ऊर्जा संयंत्र, गाड़ियों का धुंआ, निर्माण स्थलों की धूल और परली मुख्य रूप से माने जा सकते हैं |
प्रदुषण किसी भी किस्म का सेहत के लिए नुकसानदायक हैं, और बढ़ता औद्योगीकरण इस दिशा में और विस्तार ला रहा हैं, हवा पानी सब कुछ ना सिर्फ इंसानो के लिए खतरनाक बनते जा रहे हैं, बल्कि इससे जानवरों और जलीय जीवो पर भी खतरा आ गया हैं, कचरा प्रबंधन एक मुख्य समस्या हैं जिस पर भी खास ध्यान नहीं दिया जाता हैं, भरा इ स्वछता अभियानों को कमज़ोर बनाने वाले ऐसे कारक जल्दी ही नष्ट किये जा सके ऐसी उम्मीद करता हैं करंट न्यूज़. हमे बताये कैसा लगा आर्टिकल “प्रदुषण से मिसकैरेज हो रहे है, रिसर्च में आये चौकाने वाले आंकड़े” लाइक, शेयर, सब्सक्राइब करके |