किसान आंदोलन: कृषि कानूनों के खिलाफ 35 दिन से धरने पर बैठे किसान संगठनों के साथ बैठक में सरकार ने उनकी 4 में से 2 मांगे मान ली हैं. छठे दौर की वार्ता में सरकार पराली जलाने को लेकर किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही रोकने और विद्युत संशोधन अधिनियम की वापसी पर राजी हो गई है. हालांकि तीनों कानून वापस लेने और एमएसपी पर बात नहीं बनी और दोनों पक्ष इन पर चर्चा के लिए 4 जनवरी को आमने सामने होंगे.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर खाद्य एवं रेल मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्यमंत्री सोमप्रकाश ने विज्ञान भवन में बुधवार को हुई वार्ता में शामिल 41 किसान संगठन एमएसपी खरीद प्रक्रिया के बेहतर अनुपालन के लिए समिति बनाने का प्रस्ताव दिया. साथ ही दिल्ली एनसीआर व आसपास वायु प्रदूषण प्रबंधन के लिए आयोग के अध्यादेश के प्रावधानों से किसानों को बाहर रखने और विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे की वापसी पर सहमति जताई.
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किसान आंदोलन: दोनों पक्षों के बीच 5 घंटे से ज्यादा चली बैठक में किसान तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े रहे. वहीं बैठक के बाद तोमर ने कहा बातचीत मैत्रीपूर्ण माहौल में हुई हालांकि किसान तीनों कानून वापस लेने की मांग पर अड़े रहे हमने उन्हें कानूनों के फायदे गिनाए और खास समस्याओं के बारे में पूछा.
सरकार को थी बात बनने की उम्मीद
किसान आंदोलन: सरकार को उम्मीद थी कि गतिरोध खत्म होगा किसान घर लौट जाएंगे और परिवार के साथ नए साल का जश्न मनाएंगे हालांकि दोनों प्रमुख मुद्दों पर सहमति न बनने से अब किसानों का नया साल दिल्ली की सीमा पर ही मनेगा. बैठक से पहले केंद्रीय मंत्री तोमर ने बातचीत में हल निकलने की उम्मीद जताई थी वहीं किसानों ने कहा है हम पूरी तैयारी से आए हैं मांगे मंगवाए बिना नहीं जाएंगे.
केंद्रीय मंत्रियों ने खाया लंगर में खाना तो किसानों ने भी पी सरकार की चाय
वार्ता में शामिल किसानों ने इस बार भी खाना अपने लंगर का खाया बैठक के 2 घंटे बाद सिंघु बॉर्डर से लंगर का खाना विज्ञान भवन पहुंचा तो तीनों केंद्रीय मंत्रियों ने भी किसानों के साथ लंगर का खाना खाया इसके बाद बैठक शुरू हुई हालांकि अब तक सरकार का कुछ भी खाने पीने से इनकार करते रहे किसान नेताओं ने शाम को सरकार की चाय स्वीकार की चाय के बाद किसान नेताओं ने विज्ञान भवन में अरदास की.